यज्ञ हमारी समग्र उन्नति का श्रेष्ठतम साधन
सदर आर्य समाज मंदिर में महर्षि दयानन्द सरस्वती की द्विजन्मशताब्दी महोत्सव मनाया गया। आचार्या सुलभा शास्त्री ने यज्ञ की शुरुआत की और विद्वानों ने महर्षि की जीवन गाथा सुनाई। यजमानों ने यज्ञ में भाग...
सदर आर्य समाज मंदिर में मनाए जा रहे युगप्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्विजन्मशताब्दी महोत्सव में वेदाचार्यों ने महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जीवन गाथा का वर्णन किया। शुभारंभ गुरुकुल नजीबाबाद की आचार्या सुलभा शास्त्री ने ब्रह्मत्व यज्ञ कर किया। प्रीति राजेश सेठी, पूनम अजय गुप्त, पोयम मनोज जैन यज्ञ में यजमान रहे। गुरुकुल की ब्रह्मचारिणियों ने यजुर्वेद की वेदों की ऋचाओं का पाठ कर सभी को आध्यात्मिक भावों से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में विद्वान आचार्या ने भजन सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। वेदाचार्य डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री ने युगप्रवर्तक महर्षि दयानन्द की जीवनगाथा का वर्णन करते हुए कहा कि अपने गुरु स्वामी विरजानन्द को गुरु दक्षिणा में अपना जीवन समर्पित करने के बाद स्वामी दयानंद वेदों और ऋषिकृत ग्रंथों के स्वाध्याय और अन्य धर्म ग्रंथों में सत्य असत्य की खोजबीन करने में जुट गए। 1867 में हरिद्वार कुंभ के मेले में पाखंड खंडनी पताका गाड़कर वैदिक धर्म का प्रचार आरंभ कर दिया। राजेश सेठी ने कहा कि वेद मात्र धर्म ग्रंथ नहीं अपितु मानव मात्र के लिए परमात्मा द्वारा दी गई आचार संहिता है। इसके अनुसार जीवन यापन करके ही मनुष्य सुखी हो सकता है। यज्ञ हमारी समग्र उन्नति का श्रेष्ठतम साधन है। चंद्रकांत, मांगेराम, धर्मेंद्र मित्तल, विपुल अग्रवाल, ज्ञानेंद्र सक्सेना, अपर्णा, मणि गर्ग, अशोक सुधाकर, सुनील बंसल आदि रहे।
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