69 हजार शिक्षक भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मायावती की प्रतिक्रिया, बोलीं- अन्याय नहीं होना चाहिए
69 हजार शिक्षक भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि पोस्ट कर कहा कि मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के नई सूची बनाने वाले आदेश पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी में सियासत तेज हो गई। इस मामले में बसपा प्रमुख मायावती ने भी प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने मंगलवार को अपने सोशल मीडिया ऐक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा कि यूपी शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक जरूर मिलना चाहिए। इसके साथ ही सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रुख अपनाए ताकि अभ्यर्थियों के साथ कोई नाइंसाफी ना हो सके।
वहीं मायावती से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार नौकरी देने वाली सरकार नहीं है। उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश की सरकार दोहरा खेल न खेले। इस दोहरी सियासत से दोनों पक्ष के अभ्यर्थियों को ठगने और सामाजिक, आर्थिक व मानसिक रूप से ठेस पहुंचाने का काम भाजपा सरकार न करे। प्रदेश की भाजपा सरकार की भ्रष्ट-प्रक्रिया का परिणाम अभ्यर्थी क्यों भुगतें? जो काम तीन दिन में हो सकता था, उसके लिए तीन महीने का इंतज़ार करना और ढिलाई बरतना बताता है कि भाजपा सरकार किस तरह से नई सूची को जानबूझकर न्यायिक प्रक्रिया में उलझाना व सुप्रीम कोर्ट ले जाकर शिक्षक भर्ती को फिर से लंबे समय के लिए टालना चाह रही है। सुप्रीम कोर्ट ले जाकर भर्ती लटकाने की भाजपाई चालबाज़ी को अभ्यर्थी समझ रहे हैं। भाजपा सरकार का ऐसा आचरण घोर निंदनीय है। भाजपा न इनकी सगी है, न उनकी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नई चयन सूची तैयार करने को कहा गया था। शीर्ष अदालत ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी, जिनमें 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए।
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