Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Mayawati said It is inhuman to send Indians to America in handcuffs

हाथ में हथकड़ी डालकर भेजना अमानवीय, अमेरिका से भारतीयों को डिपोर्ट करने पर भड़कीं मायावती

मायावती ने अमेरिका द्वारा 104 नागरिकों को बाहर किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इस घटना को अति-दुखद और देश के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला बताया। मायावती ने कहा कि कैदियों से भी बदतर हालात में वापस लौटाए गए भारतीयों के संबंध केंद्र सरकार का बयान लीपापोती करने वाला है।

Pawan Kumar Sharma लाइव हिन्दुस्तानThu, 6 Feb 2025 06:45 PM
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हाथ में हथकड़ी डालकर भेजना अमानवीय, अमेरिका से भारतीयों को डिपोर्ट करने पर भड़कीं मायावती

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अमेरिका द्वारा 104 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इस घटना को अति-दुखद और देश के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला बताया। मायावती ने कहा कि कैदियों से भी बदतर हालात में वापस लौटाए गए भारतीयों के संबंध केंद्र सरकार का बयान लीपापोती करने वाला है।

बसपा प्रमुख ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, " महिलाओं व बच्चों सहित गुजरात, पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों के 104 भारतीयों को हथकड़ी व पांव में बेढ़ी डालकर अमानवीय तरीके से अमेरिका द्वारा सैन्य विमान से वापस भेजे गए भारतीयों का मामला अति-दुखद है। यह देश के स्वाभिमान से जुड़ा व ठेस पहुंचाने वाला है। कैदियों से भी बदतर हालात में वापस लौटाए गए भारतीयों के संबंध में केंद्र सरकार का आज संसद में दिया गया बयान घटना की गंभीरता एवं उससे भारतीयों को पहुंचने वाले दुख व शर्मिंदगी को देखते हुए संतोषजनक की बजाय लीपापोती करने वाला ज्यादा लगा। सरकार मामले को पूरी गंभीरता से ले।"

एक्स पर किए गए पोस्ट में मायावती ने आगे लिखा कि अमेरिका को फिर से महान बनाने की नीति के तहत अवैध रूप से रहने वाले अन्य भारतीयों के भी वापस भारत भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। जिसे लेकर भारत सरकार को सतर्क होना जरूरी है। ताकि अन्य भारतीय परिवारों को ऐसी पीड़ा व देश को ऐसा अनादर का सामना अब आगे न करना पड़े।

अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार पर साधा निशाना

संयुक्त राज्य अमेरिका से भारतीयों को जबरन वापस भेजे जाने के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि लोगों को कैदियों की तरह वापस लाया जा रहा है, इससे 'विश्वगुरु' की छवि धूमिल हुई। जो लोग खुद को विश्वगुरु बताते थे, वे अब चुप क्यों हैं? विदेश मंत्रालय इस पर क्या कर रहा है?

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