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'राजनीतिक स्‍वार्थ वाला अधिक लगता है', मोदी 3.0 के दूसरे बजट पर मायावती की पहली प्रतिक्रिया

  • बसपा सु्प्रीमो मायावती को मोदी सरकार का यह बजट पसंद नहीं आया है। उन्‍होंने कहा कि यह बजट राजनीतिक स्‍वार्थ वाला अधिक लगता है। उन्‍होंने कहा कि भाजपा सरकार का भी बजट, कांग्रेस की ही तरह, राजनीतिक स्वार्थ का अधिक व जन एवं देशहित का कम लगता है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानSat, 1 Feb 2025 02:49 PM
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'राजनीतिक स्‍वार्थ वाला अधिक लगता है', मोदी 3.0 के दूसरे बजट पर मायावती की पहली प्रतिक्रिया

Mayawati Reaction on Budget 2025: वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी 3.0 का दूसरा बजट 2025 लोकसभा में पेश कर दिया है। बजट में 12 लाख तक की आय पर टैक्‍स में छूट सहित कई प्रावधानों की जहां भाजपा और उसके सहयोगी दल खूब तारीफ कर रहे हैं वहीं विपक्ष ने इसकी जमकर आलोचना की है। बसपा सु्प्रीमो मायावती को भी मोदी सरकार का यह बजट पसंद नहीं आया है। उन्‍होंने कहा कि यह बजट राजनीतिक स्‍वार्थ वाला अधिक लगता है।

सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म 'एक्‍स' पर बजट पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए मायावती ने लिखा- 'देश में महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी की जबरदस्त मार के साथ ही सड़क, पानी, शिक्षा, सुख-शान्ति आदि की जरूरी बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण लगभग 140 करोड़ की भारी जनसंख्या वाले भारत में लोगों का जीवन काफी त्रस्त है, जिसका केन्द्रीय बजट के माध्यम से भी निवारण होना जरूरी।' उन्‍होंने आगे लिखा- ‘ किन्तु वर्तमान भाजपा सरकार का भी बजट, कांग्रेस की ही तरह, राजनीतिक स्वार्थ का अधिक व जन एवं देशहित का कम लगता है। अगर ऐसा नहीं है तो इस सरकार में भी लोगों का जीवन लगातार तंग, बदहाल व दुखी क्यों? ’विकसित भारत’ का सपना बहुजनों के हित का भी होना जरूरी।’

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राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर भी जताई थी नाखुशी

बता दें कि इसके पहले बसपा प्रमुख मायावती ने राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर भी अपनी नाखुशी जताई थी। मायावती ने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म 'एक्‍स' पर लिखा था- ‘लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले बजट सत्र के उद्घाटन में मा. राष्ट्रपति महोदया का अभिभाषण देश में जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, जीएसटी कर बोझ, घरेलू बचत में कमी आदि से त्रस्त करोड़ों गरीब, मेहनतकश व मध्यम वर्ग बहुजनों हेतु राहत व उम्मीद तो दूर सांत्वना वाला भी कम।’

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उन्‍होंने आगे लिखा था- 'केन्द्र की नीति मुट्ठी भर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की संख्या बढ़ाने व उन्हें हर प्रकार का लाभ पहुँचाने के बजाय गरीब, मजदूर, किसान, मध्यम वर्ग आदि बहुजनों का दुख-दर्द मिटाने पर केन्द्रित होना जरूरी तभी आगे जनहित संभव। ’सर्वजन हिताय व सुखाय’ के बिना देशहित अधूरा।'

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