झूठा लांछन लगा रहीं है मायावती, हाथरस भगदड़ टिप्पणी पर बसपा प्रमुख को अधिवक्ता एपी सिंह का जवाब
- बहुजन समाज पार्टी (की अध्यक्ष मायावती ने हाथरस के फुलराई गांव में दो जुलाई को सत्संग के बाद मची भगदड़ के मामले में पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ 'भोले बाबा' का नाम शामिल नहीं किए जाने पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाए।
बहुजन समाज पार्टी (की अध्यक्ष मायावती ने हाथरस के फुलराई गांव में दो जुलाई को सत्संग के बाद मची भगदड़ के मामले में पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ 'भोले बाबा' का नाम शामिल नहीं किए जाने पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाए। इस पर अधिवक्ता एपी सिंह ने बसपा प्रमुख को जवाब दिया। वकील एपी सिंह ने कहा कि यह सनातन धर्म और सरकार को बदनाम करने का एक प्रयास है। सिंह ने कहा कि कोई यह नहीं समझ पा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री को ऐसी क्या परेशानी है कि वह लोगों के दुख की परवाह किए बिना अब भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को उछाल रही हैं।
उन्होंने पूछा कि वह नारायण साकार को बदनाम करने पर क्यों उतारू हैं? सिंह ने कहा कि क्या उन्हें इस बात से ईर्ष्या है कि दलित-गरीब पृष्ठभूमि का व्यक्ति धर्म का प्रचार करते हुए इतना लोकप्रिय कैसे हो गया? उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश की जनता से पूर्व सीएम को प्यार नहीं है। आज भी वह हाथरस में जो दुखद घटना हुई है उसको लेकर जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, मायावती को न तो न्यायिक आयोग की जांच पर भरोसा है और न ही भारत की अदालतों पर। यूपी पुलिस की रिपोर्ट और एसआईटी की जांच पर भी मायावती भरोसा नहीं करती हैं। एपी सिंह बोले-मायावती लगातार नारायण साकार हरि को व्यक्तिगत रूप से बदनाम करने के लिए उन पर लांछन लगाती हैं। झूठे-झूठे आरोप लगाती हैं, जबकि जांच एजेंसियां पूरी तरह से काम कर रही हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल पुलिस ने मंगलवार को हाथरस की एक अदालत में 3200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं था। इसको लेकर मायावती ने यूपी पुलिस और यूपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। मायावती ने आरोप लगाया कि 11 आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं किए जाने का मतलब है कि उसे राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है। इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, ''इस भगदड़ कांड के संबंध में दाखिल आरोप पत्र में सूरजपाल सिंह उर्फ 'भोले बाबा' का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है। इससे साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जो अनुचित है।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि मीडिया के अनुसार सिकंदराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर आरोप पत्र में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित है? उन्होंने पूछा कि ऐसे सरकारी रवैये से ऐसी घटनाओं को क्या आगे रोक पाना संभव है? भगदड़ की घटना के सिलसिले में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और प्रमुख सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया गया है। अन्य आयोजकों और सेवादारों का नाम और पता अज्ञात है। पुलिस ने बाद में मधुकर समेत 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के वकील ए. पी. सिंह के अनुसार अभियुक्तों में से एक मंजू यादव इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने पर जेल से बाहर है, जबकि अन्य आरोपी अब भी जेल में हैं। मायावती ने पहले भी इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि हाथरस भगदड़ पर एसआईटी की रिपोर्ट "राजनीति से प्रेरित" लगती है।