चार वर्ष बाद भी अधूरी है छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
योगी ने की थी सन 2020 में 23 करोड़ के घपले में कार्रवाईकानपुर की ईओडब्ल्यू शाखा में अब तक लंबित हैं दो जांच -89 कॉलेज एवं चार कर्मचारियों पर दर्ज हुई थ
मुख्यमंत्री योगी के हस्तक्षेप पर खुला जिले का छात्रवृत्ति घोटाला अब तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है। पिछले चार वर्षों से इसमें जांच पर जांच एवं कागजों में भाग दौड़ तेज है। इसके बावजूद आज तक किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकी है। जिले में चार वर्ष पूर्व दिसंबर सन 2020 में करीब 23 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के घोटाले का खुलासा हुआ था। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, तीन बाबू नवीन मेहरोत्रा, राहुल चाहर, योगेश कुमार एवं 72 आईटीआई शिक्षण संस्थान के संचालकों के खिलाफ एक जनवरी 2021 को तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में लखनऊ से फर्जी ऑर्डर लगाने पर 13 अन्य शिक्षण संस्थानों की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में एसडीएम एवं गवर्मेंट आईटीआई कॉलेज के प्राचार्य की जांच में दोषी पाए चार अन्य संस्थानों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
ईओडब्ल्यू में अब भी अधूरी दोनों जांच
सभी एफआईआर की जांच कानपुर की आर्थिक अपराध शाखा के निरीक्षक मौहम्मद शाकिर को सौंपी गई। इसकी विवेचना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। इसकी प्रशासनिक जांच आर्थिक अपराध शाखा के निरीक्षक धनंजय सिंह को सौंपी थी। यह भी अभी तक अधूरी है।
चार वर्ष में सिर्फ ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई
समाज कल्याण निदेशालय लखनऊ ने 54 आरोपी आईटीआई शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसके अलावा चार वर्ष बीतने के बावजूद भी आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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