दोगुनी कीमत पर बंदर पकड़ने के ठेके की हो जांच
Mathura News - पार्षद ने मंडलायुक्त व नगर आयुक्त को पत्र भेज जताई गड़बड़ी की आशंका-पार्षद ने मंडलायुक्त व नगर आयुक्त को पत्र भेज जताई गड़बड़ी की आशंका -बंदर पकड़ने क
नगर निगम मथुरा-वृंदावन द्वारा दोगुनी से भी ज्यादा दरों पर बंदरों को पकड़ने का ठेका जयपुर की एक फर्म को दे दिए जाने के मामले की जांच मंडलायुक्त व नगर आयुक्त से कराते हुए टेंडर को तत्काल निरस्त करने की मांग की गयी है। पार्षद राजीव कुमार सिंह ने कहा है कि बंदरों को पकड़ने का ठेका दोबारा उठाया जाए, ताकि नगर निगम को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके। बताते चलें कि महानगर में बढ़ते बंदरों के आतंक को देखते हुए नगर निगम मथुरा-वृंदावन द्वारा टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से जयपुर की एक फर्म को 230 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से 31 मार्च 2025 तक के लिए ठेका दिया गया है, जबकि इससे पूर्व 24 जुलाई 2023 को ई-टेंडर के माध्यम से बंदर पकड़ने का कार्यादेश इमरान कॉन्टेक्टर पैगांव, रोड छाता को 95 रुपये प्रति बंदर जीएसटी के साथ दिया गया था। इसमें बंदर पकड़ने से लेकर उनको छोड़ने, बंदर को पकड़ने में प्रयुक्त खाना व वाहन व्यय भी सम्मलित था। डेढ़ साल में दोगुनी से ज्यादा दरों पर ठेका देने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यही नहीं पुराने ठेकेदार द्वारा भी टेंडर डालने से रोकने और उसकी फर्म जबरन काली सूची में डालने की धमकी देने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस मामले को लेकर रविवार को हिन्दुस्तान समाचार-पत्र ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।
इस पर नगर निगम के पार्षद राजीव कुमार सिंह ने मंडलायुक्त व नगर आयुक्त को भेजे पत्र में दोगुनी से ज्यादा कीमत पर बंदरों को पकड़ने का ठेका उठाने के मामले की जांच कराने और पुन: ठेका उठाने की मांग की है। पार्षद ने पत्र में कहा है कि अपर नगर आयुक्त रामजीलाल के निर्देशन में उक्त विषयक ठेका टेन्डर जो कि 230 रूपये प्रति बन्दर के हिसाब से जयपुर की किसी कथित फर्म को उठाया गया है, जबकि एक वर्ष पूर्व में यह ठेका जीएसटी सहित मात्र 95 रूपये प्रति बंदर के हिसाब से उठाया गया था, जो कि जांच का विषय है। पूर्व ठेकेदार इमरान का बंदर पकड़ने का बकाया 1 लाख 72 हजार 805 का भी भुगतान निगम द्वारा न करते हुए उसे ब्लैक लिस्टेड करने के लिए सूचना नोटिस भेज दिया गया। उक्त ठेकेदार को टेन्डर न डालने के लिए मजबूर किया गया और टेन्डर को दूने से भी अधिक मूल्य पर सांठ-गांठ के तहत कथित फर्म को टेन्डर दे दिया गया। पत्र में उक्त प्रकरण की जांच कराते हुए टेण्डर को निरस्त कर पुनः टेण्डर घोषित कराने तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की गयी है।
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