बोले मैनपुरी: लुटती रही हरियाली तो साफ हवा को तरसेंगी पीढ़ियां
Mainpuri News - मैनपुरी। महाभारत काल से जुड़े महर्षि च्यवन ऋषि, मयन ऋषि और मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि के लिए विख्यात मैनपुरी की पहचान घनघोर जंगलों से भी होती है।
महाभारत काल से जुड़े महर्षि च्यवन ऋषि, मयन ऋषि और मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि के लिए विख्यात मैनपुरी की पहचान घनघोर जंगलों से भी होती है। ऋषियों ने इन जंगलों में रहकर तपस्या की और अपना वक्त बिताया, लेकिन धीरे-धीरे जंगल खत्म होते गए। अब आलम ये है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए मैनपुरी में हर साल 30 से 35 लाख नए पौधे लगाए जाते हैं फिर भी यहां पर जंगल घट रहे हैं। बारिश कम होती है जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। पौधरोपण न होने और पेड़ों के कटान की जब बात होती है तो कागजों को दिखा दिया जाता है, लेकिन हकीकत कोसों दूर है। किशनी के ग्राम हरिसिंहपुर और नगला रमू के बीच पौधरोपण किया गया। हरियाली प्लांट लगाया गया। रखरखाव के लिए कर्मचारी तैनात किए गए। वन विभाग ने दावा किया कि इस इलाके को हरियाली के दृष्टिगत विकसित ही नहीं किया जाएगा बल्कि ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो पर्यावरण की रक्षा करेंगे और लोगों के लिए फल भी उपलब्ध कराएंगे। लेकिन 25 मार्च 2013 को देखे गए इस सपने को हकीकत में नहीं बदला जा सका है। अखिलेश सरकार जाते ही जंगल विकसित करने के सपने को भी ग्रहण लग गया। लोग चाहते हैं कि किशनी पर्यावरण की दृष्टिगत जंगल विकसित करने में पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बनाए, मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है।
किशनी में पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रयास कागजों में भले ही हो रहे हैं लेकिन यहां की धरती पशु-पक्षियों को बेहद भाती है। समान पक्षी विहार की बड़ी झील और वेटलैंड की बढ़ी संख्या विदेशी पक्षियों को भी इस इलाके में आने के लिए प्रेरित करती है। जहां तक हरियाली प्लांट की बात है तो जो भी पौधे यहां बड़े हो रहे हैं, पेड़ बन रहे हैं उन्हें वन विभाग के कर्मियों की लापरवाही से लोग काटकर ले जा रहे हैं। अधिकारी यहां कभी निरीक्षण करने नहीं आते। जिससे इस हरियाली प्लांट की दुर्दशा बढ़ती जा रही है। इस बार भी यहां बरसात से पहले पौधरोपण के लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे। पौधे लगाते समय फोटो भी खींचे जाएंगे, वीडियो भी बनेंगे। लेकिन इसके बाद ये पौधे किस हाल में हैं, हर साल की तरह लोग भूल जाएंगे।
सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम: जानकारी के मुताबकि, किशनी में हरियाली प्लांट में 25 हजार पौधे लगाए गए थे। लेकिन यहां देखरेख नहीं हो सकी। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी अभियान के तहत स्थानीय लोगों किया गया। संवाद में पौधरोपण और जंगलों को लेकर खुलकर बात हुई। इस दौरान लोगों ने कहा कि पेड़ों का कटान रोककर ही हरियाली वापस लाई जा सकती है। इसके लिए प्रशासन को सख्त और ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही स्थानीय लोगों ने चेताया कि यदि इस दिशा में कदम न उठाए तो आने वाली पीढ़ियां पत्ते-पत्ते के लिए तरसेंगे।
बोले लोग
हरियाली प्लांट में काम कराने की जरूरत है। प्लांट के अंदर सड़कों का निर्माण हो। अच्छे पेड़ पौधे लगाए जाएं। जगह-जगह पानी का इंतजाम हो। सारी सुविधाएं होंगी तो अपने आप ही हरियाली दिखने लगेगी।
-उपेंद्र कुमार
देखरेख के अभाव में हरियाली प्लांट की जमीन पर कब्जे हो रहे। लकड़ी का कटान हो रहा। हरियाली की जगह क्षेत्र मैदान में परिवर्तित हो रहा। वन विभाग हरियाली प्लांट को विकसित कराएं।
-विवेक कुमार
सरकार हरियाली प्लांट में सभी सुविधाएं पूरी कराए। पास में ही समान पक्षी विहार है। जिसको देखने के लिए स्कूलों से बच्चे टूर पर आते हैं। हरियाली प्लांट में सुविधाएं होंगी तो यहां भी टूर होगा।
-विनीत कुमार
पर्यटन के दृष्टिगत हरियाली प्लांट को विकसित करने की जरूरत है। हरियाली प्लांट में पार्क स्थल बने, पिकनिक स्पॉट बनाए जाएं। सुविधाएं मिलेगी तो यहां जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
-विपिन कुमार
सैकड़ों बीघा में फैले हरियाली प्रोजेक्ट की देखभाल नहीं हो रही। जिलाधिकारी, तहसील स्तरीय अधिकारी यहां नहीं आते। जिससे वन विभाग के अधिकारी भी नहीं आते।
-अर्जुन कुमार
वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हरियाली प्रोजेक्ट का शुभारंभ कर यहां के लोगों के लिए एक सौगात दी थी। लेकिन देखरेख के अभाव में हरियाली प्रोजेक्ट दुर्दशा की ओर है।
-चंद्रकेश यादव
प्रोजेक्ट नगर पंचायत क्षेत्र का हिस्सा है। नगर में अधिकारी रहते हैं। समय-समय पर जिला स्तरीय अधिकारी भी नगर में भ्रमण पर आते हैं। लेकिन हरियाली प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने कोई नहीं जाता।
-हर्षित कुमार
हरियाली प्रोजेक्ट दुर्दशा की ओर है। यहां लगे पेड़-पौधे सूख गए हैं। पानी का कोई इंतजाम नहीं है। जो पौधे लगाए जाते हैं वह पानी के अभाव में सूख जाते हैं। पानी का इंतजाम होना चाहिए।
-जीतू यादव
हरियाली प्रोजेक्ट में लगे पेड़ों का कटान धड़ल्ले से हो रहा। वन विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत के चलते यहां लकड़ी काटने वालों पर कार्रवाई नहीं होती।
-नरसी यादव
हरियाली प्लांट लगभग एक हजार बीघा में फैला हुआ है। लेकिन देखरेख के अभाव में हरियाली प्रोजेक्ट की जमीन सिकुड़ रही है। दबंगों द्वारा कब्जा किया जा रहा।
-पंकज कुमार
हरियाली प्रोजेक्ट की दुर्दशा का जिम्मेदार वन विभाग है। वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी सिर्फ एक बार पौधरोपण कर हरियाली प्रोजेक्ट की ओर साल भर नहीं देखते।
-प्रांशू कुमार
हरियाली प्लांट नाम सुनकर ऐसा लगता है कि खूब हरियाली होगी। अच्छे पेड़ होंगे। वहां जाने पर मन पुलकित होता होगा। लेकिन हरियाली प्रोजेक्ट स्थल को देखकर बीहड़ जैसा एहसास होता है।
-रवि चौहान
हरियाली प्रोजेक्ट के नाम पर बजट का बंदरबांट हो जाता है। यहां जो पौधे लगाए जाते हैं उसके नाम पर रुपये निकाल लिए जाते हैं लेकिन ये पौधे आज तक पेड़ का रूप नहीं ले पाए।
-रॉकी यादव
हरियाली प्लांट परिसर में पानी का अकाल है। पानी का इंतजाम न होने से यहां लगाए जाने वाले पौधे पेड़ों का आकार नहीं ले पाते हैं। यहां पानी का इंतजाम कराना नितांत आवश्यक है।
-सनी यादव
हरियाली प्लांट जब शुरू हुआ था उसके बाद तीन-चार वर्ष तक अधिकारियों का भ्रमण होता था। बीते सात-आठ वर्षों से इसकी ठीक से देखभाल नहीं हो रही।
-संजेश कुमार
हरियाली प्लांट जोन में जो पेड़ खड़े हैं उनका कटान हो रहा है। लकड़ी माफिया सक्रिय हैं। कटान रोकने के लिए यहां गार्डों की तैनाती की जाए। इससे जमीन पर कब्जे भी नहीं होंगे।
-सतेंद्र यादव
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।