Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़महाराजगंजSmuggling of Red Sandalwood from India to China Major Seizures at Indo-Nepal Border

सोहगीबरवा सेंक्चुरी के गोदाम में डेढ़ दशक से सड़ रहा करोड़ों का रक्त चंदन

इंडो-नेपाल सीमा पर सोनौली और निचलौल क्षेत्र में रक्त चंदन की तस्करी का मामला सामने आया है। हाल ही में कस्टम विभाग ने ढाई टन रक्त चंदन जब्त किया। वन विभाग ने बताया कि पिछले डेढ़ दशक से गोदाम में लाखों...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजFri, 13 Sep 2024 04:18 AM
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महराजगंज,हिन्दुस्तान टीम। इंडो-नेपाल से सटा सोनौली व निचलौल का क्षेत्र आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के जंगलों का बेसकीमती रक्त चंदन की चीन तक तस्करी के लिए लांचिंग पैड बन गया है। सोनौली क्षेत्र में कस्टम विभाग द्वारा पकड़े गए ढाई टन लाल चंदन लकड़ी से यह बार्डर एक बार फिर सुर्खियों में है। इसके पहले भी पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां करोड़ों के करीब 11.35 घन मीटर रक्त चंदन की लकड़ी को अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के पास बरामद कर वन विभाग को सौंप चुकी है। सोहगीबरवा सेंक्चुरी के गोदाम में बरामद रक्त चंदन की लकड़ी पिछले डेढ़ दशक से पड़ा है। वन विभाग करोड़ों रूपये मूल्य के रक्त चंदन की नीलामी प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहा है। इससे गोदाम में वर्षों से पड़े रक्त चंदन को क्षरण से नुकसान की आशंका प्रबल हो गई है।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एपी सिन्हा ने कहा, रक्त चंदन की लकड़ी को लेकर भारत सरकार की गाइड लाइन है। या तो इसको आंध्र प्रदेश को सुपुर्द किया जाएगा या फिर नीलामी की जाएगी। यूरोपियन कंट्री में डिमांड अधिक होने से इसके तस्करी की बातें सामने आ रही हैं। गाइड लाइन के अनुसार इसका निस्तारण कराया जाएगा। वन कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वह बरामद रक्त चंदन की लकड़ी को पूरी हिफाजत के साथ सुरक्षित रखें।

बसुली जंगल के पास वर्ष 2008 में पकड़ा गया था दस टन रक्त चंदन

इंडो-नेपाल बार्डर पर वर्ष 2008 में पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की जांच व सतर्कता से बसुली जंगल के पास 10 टन रक्त चंदन की लकड़ी बरामद कर वन विभाग को सौंपा है। माप के बाद 11.35 घन मीटर रक्त चंदन वन विभाग के गोदाम में पड़ा है। सुरक्षा एजेंसियां बरामदगी के बाद उत्तरी चौक रेंज व निचलौल रेंज कार्यालय की सुपुर्दगी में दी हैं। एक घन मीटर में सामान्य लकड़ियां अपने-अपने घनत्व के अनुसार आठ कुंतल से पन्द्रह कुंतल वजन पकड़ती हैं। रक्त चंदन अन्य लड़कियों के अपेक्षा कृत अधिक वजनी बताया जा रहा है। कस्टम ने ढाई टन रक्त चंदन को बरामद वन विभाग की सुपुर्दगी में देने का प्रक्रिया पूरी कर रहा है। वन विभाग के एसडीओ अविनाश तिवारी का कहना है कि विभागीय मापजोख के बाद ही स्पष्ट रूप से बताया जा सकेगा कि ढाई टन रक्त चंदन कितना घन मीटर होगा?

नेपाल में भी बरामद हो चुका है कई कुंतल रक्त चंदन

दक्षिण भारत में मिलने वाला लाल चंदन नेपाल के रास्ते चीन भेजा रहा है। भारत की सोनौली सीमा से सटे नेपाल के नवलपरासी जिले में बीते दिनों डेढ़ क्विंटल लाल चंदन की बरामदगी हुई। वैभव गिरी नाम के एक आरोपित की गिरफ्तारी हुई थी। नवलपरासी जिले के प्रहरी डीएसपी ने बताया था कि लाल चंदन को भारत की ठूठीबारी सीमा के रास्ते नेपाल के रामग्राम पहुंचाया गया था। इसे चीन भेजे जाने की योजना थी। नेपाल में इससे पूर्व भी 75 क्विंटल लाल चंदन बरामद किया गया था। विभिन्न स्थानों से बरामद करीब 300 टन लाल चंदन को नेपाल वन विभाग ने अपनी निगरानी में रखा है। विभागीय प्रक्रिया पूरी होने के बाद भारत को सौंपा जाना है। आरोपित से पूछताछ में मिली जानकारी के अनुसार चीन में औषधि, सौंदर्य प्रसाधन व उच्च स्तरीय फर्नीचर बनाने में इसका उपयोग होता है।

चीन व यूरोपियन देश में भारतीय रक्त चंदन की डिमांड अधिक

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) की लुप्तप्राय सूची में शामिल है। यह आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के जंगलों में पाया जाता है। नेपाल पुलिस की पूछताछ में यह बात सामने आई थी कि तस्कर आंध प्रदेश व तेलंगाना से लकड़ी को ट्रकों में दूसरे सामानों के बीच छिपाकर लाते हैं। भारत से नेपाल भेजे जाने वाले चिकित्सकीय उपकरणों व विभिन्न वाहनों के कल पुर्जों के बीच में रखकर इसे नेपाल पहुंचाया जाता है। फिर वहां से चीन पहुंचा दिया जाता है। चीन में भारत के लाल चंदन का उपयोग परफ्यूम बनाने के साथ-साथ कास्मेटिक्स के सामान बनाने में भी होता है। इसके अलावा लाल चंदन के तेल से विभिन्न प्रकार की दवाओं का निर्माण भी किया जाता है। सूत्रों के अनुसार चीन में लाल चंदन की लकड़ी से निकाले गए तेल की कीमत एक हजार से डेढ़ हजार डालर प्रति किलो है। इसीलिए चीन में भारत के लालचंदन की चीन में भारी मांग है और लोग मुंह मांगे मूल्य पर इसे खरीदने को तैयार रहते हैं। मांग इतनी रहती है कि उसकी आपूर्ति नहीं हो पाती। चीन में बढ़ी यह मांग ही तस्करों को बढ़ावा देती है।

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