Hindi NewsUttar-pradesh NewsLucknow NewsAyurveda Proven Effective for Joint Pain and Arthritis Post-Chikungunya Study

चिकनगुनिया के बाद होने वाले गठिया में कारगर आयुर्वेद दवाएं

Lucknow News - आयुर्वेद में किए गए शोध में पाया गया कि चिकगुनिया के बाद होने वाले जोड़ों के दर्द और गठिया में आयुर्वेदिक दवाएं प्रभावी हैं। 80 मरीजों पर किए गए शोध में, 60% को 8 सप्ताह के इलाज के बाद राहत मिली।...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 29 Dec 2024 06:20 PM
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आयुर्वेद में हुए शोध में पाया गया है कि चिकगुनिया या वायरल के बाद होने वाले जोड़ों के दर्द और गठिया में आयुर्वेदिक दवाएं काफी कारगर हैं। आयुर्वेद का यह शोध हाल में ही नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद से प्रकाशित होने वाले अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद शोध जर्नल आईजेएआर ने प्रकाशित किया है। टूड़ियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के गठिया शोध केंद्र के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव रस्तोगी के निर्देशन में यह शोध हुआ है। डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि हर साल सितंबर से जनवरी के बीच देश में लाखों लोग वायरल बुखार से पीड़ित होते हैं। यदि यह वायरल बुखार चिकनगुनिया या डेंगू से हुआ है तो साथ में जोड़ों का दर्द होना एक प्रमुख लक्षण रहता है। देखा जाता है कि बुखार उतर जाने के बाद भी ऐसे मरीजों में जोड़ों के दर्द की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है। इनमें से 30 से 40 फीसदी तक मरीजों में यह स्थायी गठिया के रूप में लंबे समय तक परेशान कर सकती है।

80 मरीजों पर किया गया शोध

डॉ. संजीव ने बताया कि दूसरी विधा की दवाओं से इस प्रकार के जोड़ के दर्द में तात्कालिक राहत तो मिलती है, लेकिन यह राहत थोड़े समय तक ही रहती है। दवाएं बंद होने के बाद दोबारा समस्या हो जाती है। ऐसे में परेशान मरीज कई बार आयुर्वेद दवाओं की ओर जाता है। हाल में हुए शोध में आयुर्वेद इलाज से वायरल बुखार के बाद होने वाले गठिया में मरीजों को काफी आराम मिला है। वायरल बुखार के बाद जोड़ों के दर्द वाले 80 मरीजों को शोध में शामिल किया गया। उन्हें आयुर्वेद इलाज दिया गया। आठ सप्ताह के इलाज के बाद 60 फीसदी तक मरीजों को आराम मिला। अहम बात यह देखने को मिली कि अधिसंख्य मरीजों को आयुर्वेदिक इलाज के बाद दर्द निवारक दवाइयां लेने की जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी अहम बात यह देखने को मिली कि आयुर्वेदिक इलाज से होने वाले लाभ अधिसंख्य मरीजों में स्थायी रहे और आयुर्वेदिक दवाएं को बंद किए जाने के बाद भी उनमें जोड़ के दर्द के लक्षण वापस नहीं पाए गए।

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