Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Long term consensual relationship cannot be considered rape important decision High Court on sexual abuse

सहमति से लंबे समय तक चले संबंध को रेप नहीं माना जा सकता, यौन शोषण पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हाई कोर्ट ने रेप और जबरन वसूली के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा कि 12 साल से अधिक समय तक सहमति से चलने वाले संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप नहीं माना जा सकता।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, प्रयागराज, विधि संवाददाताThu, 3 Oct 2024 10:39 PM
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यौन शोषण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने रेप और जबरन वसूली के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा कि 12 साल से अधिक समय तक सहमति से चलने वाले संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह निर्णय श्रेय गुप्ता की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने सहमति की कानूनी व्याख्या और झूठे बहाने के तहत यौन शोषण के आरोपों पर लम्बे समय तक संबंधों के प्रभाव पर भारतीय कानून में सहमति से यौन संबंध और रेप के बीच अंतर को परिभाषित कर याची को राहत दी तथा उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।

श्रेय गुप्ता ने अपने खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की थी। यह आपराधिक कार्यवाही 21 मार्च 2018 को शिकायतकर्ता की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी से उत्पन्न हुई थी। प्राथमिकी में याची पर आईपीसी की धारा 376 एवं 386 के तहत रेप और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था। 

मुरादाबाद की शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याची ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत की और उसके पति की मृत्यु के बाद उससे शादी का वादा किया। उसके अनुसार उसके पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा। बाद में याची ने 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली।

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