यूपी में आबादी के हिसाब से बढ़ सकते हैं लेखपाल के पद, खाली पदों का मांगा गया ब्योरा
यूपी में आबादी के हिसाब से लेखपाल के पद बढ़ सकते हैं। जिलों से लेखपाल के रिक्त पदों का ब्यौरा मांगने के साथ यह भी सुझाव मांगा है कि उनके यहां कितने लेखपालों की जरूरत है और कितने कार्यरत हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचाने और राजस्व संबंधी मामलों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए लेखपालों के पद बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। राजस्व परिषद ने जिलों से लेखपाल के रिक्त पदों का ब्यौरा मांगने के साथ यह भी सुझाव मांगा है कि उनके यहां कितने लेखपालों की जरूरत है और कितने कार्यरत हैं। राजस्व परिषद जिलों से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर यह तय होगा कि लेखपाल के कितने पदों की जरूरत है।
प्रदेश की आबादी लगातार बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो शहरी दायरा तेजी से बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने किसानों, गरीबों, निराश्रितों, विधवा व असाहय महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू कर रखी हैं। इसके अलावा घरौनी अभियान के तहत वरासत दर्ज किया जा रहा है। इन सभी कामों में लेखपालों की भूमिका सबसे अहम है।
मुख्यमंत्री ने सालों से लटके राजस्व वादों को जल्द निपटाने का निर्देश दिया है। राजस्व परिषद इसीलिए लेखपाल के रिक्त पदों को भरने और जरूरत के आधार पर पद सृजित करने पर विचार कर रहा है। प्रदेश में लेखपाल के मौजूदा समय 30837 पद हैं। इनमें से करीब 5300 पद खाली बताए जा रहे हैं। मानक के अनुसार, एक राजस्व निरीक्षक पर पांच लेखपाल होने चाहिए, लेकिन प्रदेशभर के अधिकतर जिलों में मानक के अनुसार लेखपाल नहीं हैं। कुछ जिलों में तो एक-एक लेखपाल के पास कई-कई क्षेत्र हैं।
इसके चलते उनको समय से काम करने में परेशानी हो रही है। इसीलिए राजस्व परिषद चाहता है कि मानक के अनुसार लेखपालों के पद होने चाहिए, जिससे काम करने में किसी तरह से बाधा नहीं आनी चाहिए। राजस्व परिषद जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद यह तय करेगा कि कितने पद बढ़ाए जा सकते हैं। इसके बाद शासन को प्रस्ताव भेजकर मंजूरी लेते हुए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भर्ती संबंधी प्रस्ताव भेजा जाएगा।