राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का हुआ अंतिम संस्कार, सरयू नदी में दी गई जलसमाधि
- रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री का बुधवार सुबह निधन हो गया। सत्येंद्र दास के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर को निर्मोही बाजार स्थित आश्रम में लाकर आमजन के दर्शन के लिए रखा गया।
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रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री गुरुवार को जल समाधिस्थ हो गये। उनकी जीवन लीला बुधवार को पीजीआई में उपचार के दौरान शांत हो गयी थी। सरयू तट पर उनके पार्थिव शरीर के अंतेष्टि के मौके पर संत-महंतों, जनप्रतिनिधियों व उनके शिष्यों व शुभेच्छुओं ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पहले उनके उत्तराधिकारी व रामलला के सहायक पुजारी प्रदीप दास ने मुखाग्नि दी।
इसके पहले उनका पार्थिव शरीर पीजीआई से निर्मोही बाजार स्थित लाकर उनके आश्रम में रखा गया था। वहीं गुरुवार को प्रधान पुजारी आचार्य शास्त्री के पार्थिव शरीर को सजाकर विमान में रखा गया और उनकी शोभायात्रा निकाली गयी। यह शोभायात्रा उनके आश्रम से निकलकर हनुमानगढ़ी लाई गई। यहां अंतिम दर्शन के बाद पुनः दिगम्बर अखाड़ा, तपस्वी छावनी, जानकी घाट-वासुदेव घाट, हनुमान गुफा व चौधरी चरण सिंह घाट होकर निकाली गयी। इस शोभायात्रा को संत तुलसीदास घाट पर विराम देकर अंतिम संस्कार कराया गया। फिर मोटर बोट से सरयू नदी की मध्य धारा में ले जाकर समाधिस्थ कर दिया गया।
शोक की इस घड़ी में उनके गुरु भाई व पूर्व सांसद डा रामविलास दास वेदांती, निर्वाणी अखाड़ा के निवर्तमान महंत धर्मदास, नव नियुक्त जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य, नाका हनुमानगढ़ी के महंत राम दास, करुणानिधान भवन के महंत रामजी दास व हनुमानगढ़ी के नागा संतों के अलावा श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के आमंत्रित सदस्य गोपाल राव, सहायक पुजारी संतोष कुमार तिवारी, अशोक उपाध्याय व प्रेम कुमार त्रिपाठी के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सतीश शर्मा, भाजपा विधायक वेदप्रकाश गुप्ता, महापौर गिरीश्रपति त्रिपाठी, अमावां राम मंदिर के प्रबंधक पंकज झा, भाजपा के वरिष्ठ नेता पंडित धनंजय मिश्र, प्रथम महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, भाजपा जिला महामंत्री परमानंद मिश्र, प्रतीक श्रीवास्तव, कांग्रेस के पीसीसी सदस्य राजेन्द्र सिंह, उग्रसेन मिश्र व गौरव तिवारी वीरू सहित अन्य ने अश्रुपूरित अंतिम विदाई दी।
बाबा अभिराम दास के शिष्य के रूप में 1952 में बने थे हनुमानगढ़ी के नागा
संत कबीरनगर के थाना धनघटा के अन्तर्गत ग्राम खेवहिया में 20 मई 1945 को जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास शास्त्री अपने पिता के साथ अयोध्या आते थे। उनके पिता का सम्पर्क हनुमानगढ़ी के संत बाबा अभिराम दास से था। यह वही संत थे जिन्हें 22/23 दिसम्बर 1949 को रामजन्मभूमि के विवादित परिसर में रामलला के श्रीविग्रह को स्थापित करने के मामले में आरोपित किया गया था। आचार्य शास्त्री ने 1952 में संन्यास ग्रहण करने का निर्णय लिया और बाबा अभिराम दास से दीक्षा ग्रहण कर नागा बन गये। निर्वाणी अखाड़ा के निवर्तमान महंत धर्मदास व वशिष्ठ भवन पीठाधीश्वर पूर्व सांसद डा. रामविलास दास वेदांती भी उनके गुरु भाई हैं। उन्होंने 1955 में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य की डिग्री हासिल की और 1956 में उन्हें त्रिदंड देव संस्कृत महाविद्यालय में नियुक्ति प्राप्त हुई। वह वर्ष 2007 में व्याकरण विभागाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
एक मार्च 1992 को रामजन्मभूमि में पुजारी नियुक्त हुए थे
आचार्य शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहते हुए श्रीराम जन्मभूमि में एक मार्च 1992 को पुजारी नियुक्त हुए। इसके पहले 1989-90 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार ने 2.77 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया था और यहां रिसीवर नियुक्त थे। रिसीवर के निधन के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी की ओर से नये पुजारी के रूप में आचार्य सत्येन्द्र दास तैनात किए गए। पुनः चार अन्य पुजारी के अलावा कोठारी-भंडारी भी नियुक्त हुए। छह दिसंबर 1992 में विवादित ढांचे के ध्वंस के दौरान आचार्य शास्त्री ने रामलला को सुरक्षित बाहर निकाला। पुनः ढांचा गिरने के बाद उसी दिन मलबे को हटाकर अस्थाई मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा कराई गई। जल्दबाजी में तीन तरफ की दीवार खड़ी हो गई थी लेकिन छत का निर्माण नहीं हो पाने के कारण टेंट लगाया गया। इसी टेंट में रामलला 25 मार्च 2020 तक निवास करते रहे।