कहां से गुजर रही रिंग रोड, ग्रामीणों को जानकारी ही नहीं
कहां से गुजर रही रिंग रोड, ग्रामीणों को जानकारी ही नहींखेतों और खलिहानों की भूमि का उपयोग तय पर किसानों को नहीं किया बाखबर प्राधिकरण सीमा के ग्रामीण क
ललितपुर। नगर पालिका परिषद और उससे सटे बीस गांवों तक फैली विनियमित क्षेत्र प्राधिकरण की सीमा से अन्नदाता का कोई मतलब नहीं है। उसको प्रस्तावित महायोजना 2031 में दर्शाए रिंग रोड की भी जानकारी नहीं है। किसी ने उसे इससे अवगत कराना मुनासिब भी नहीं समझा। वह तो हाड़तोड़ मेहनत से खेतों में अनाज पैदा करके समाज और अपने परिवार को भोजन मुहैया करवा रहा है। नगर पालिका परिषद के आस पास सिवनी, रोड़ा, मसौराकलां, मसौराखुर्द, जुगपुरा, महेशपुरा, पटौराकलां, पटौराखुर्द सहित विभिन्न 20 गांवों तक विनियमित क्षेत्र प्राधिकरण की सीमा फैली है। प्रस्तावित नयी महायोजना 2031 में इन गांवों को शामिल करके उनका भू-उपयोग निर्धारित किया गया है। इन गांवों की भूमि को आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक, हरित पट्टी, सामुदायिक उपयोग, पनारी, रघुनाथपुरा, रजवारा सरकारी उपयोग आदि श्रेणी में रखा गया। इसके अलावा यातायात व्यवस्था सुगम व सुचारू बनाने के लिए शहर के बाहर से रिंग रोड भी प्रस्तावित किया गया। सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों ने बड़े-बड़े कागजों पर एक नक्सा उकेरा, उस पर तमाम तरह की लकीरें खींचकर उनको अपने मन मुताबिक नाम दे दिए और शहर के चंद स्थानों पर इस नक्से को चस्पा करके सुझाव आपत्तियां मांगी। शहर के जागरुक बुद्धिजीवी प्रस्तावित महायोजना का अध्ययन करके अपनी आपत्तियां दर्ज करवा रहे हैं। लेकिन, विनियमित क्षेत्र प्राधिकरण के दायरे में शामिल गांवों के किसान इस महायोजना के प्रारूप से बेखबर हैं। उनके खेत से गुजरती दर्शाई गई रिंगरोड की उसको कोई जानकारी नहीं है। उसे यह भी नहीं मालूम कि जिस खेत में वह फसल उगाकर अपना व अपने परिवार सहित समाज को पेट भरने के लिए अन्न मुहैया कराता है उसको व्यवसायिक, औद्योगिक, आवासीय व ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित किया गया है। महायोजना बनाते समय सरकारी पट्टे, योजनाओं से हुए छोटे बड़े कार्यों आदि का सत्यापन नहीं कराया गया। भू-उपयोग निर्धारित करते समय ग्रामीणों से बातचीत तक नहीं की गयी। और तो और इन 20 गांवों में महायोजना 2031 के प्रारूप को भी नहीं रखा गया। जिसकी वजह से ग्रामीण को उनकी जमीन के भूमि निर्धारण की कोई जानकारी नहीं है। जिसकी वजह से आने वाले समय में उनके समक्ष मुसीबत खड़ी होना तय है।
ग्रामीणों के मुताबिक विनियमित क्षेत्र प्राधिकरण के दायरे में शामिल 20 गांवों के पंचायत सचिवालयों में महायोजना 2031 को चस्पा किया जाना चाहिए, जिससे ग्रामीण इसको देखकर अपने-अपने गांवों की भूमि के प्रस्तावित उपयोग को जान सके और अपने सुझाव संग आपत्तियां भी दर्ज करवाए। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
किसान नेताओं के मुताबिक नगर पालिका परिषद सीमा से सटे गांवों में चौपाल लगाकर प्रस्तावित महायोजना 2031 के संबंध में जानकारी देनी चाहिए। इसके उद्देश्य और गांव के निर्धारित भू-उपयोग को चौपाल में ही सभी के समक्ष रखना चाहिए। इस दौरान आने वाली आपित्तयों और सुझावों को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
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