दुधवा नेशनल पार्क के गैंडों पर भारी पड़ रही हैं सर्दियां
सर्दी का सीजन हर साल दुधवा टाइगर रिजर्व में वास करने वाले एक सींघ वाले गैंडे के लिए मुसीबत बनता है। गैंडों की सबसे अधिक मौत मादा गैंडे के लिये दो गैंडों के बीच हुए संघर्ष में होती हैं। वर्ष 2013 से...
सर्दी का सीजन हर साल दुधवा टाइगर रिजर्व में वास करने वाले एक सींघ वाले गैंडे के लिए मुसीबत बनता है। गैंडों की सबसे अधिक मौत मादा गैंडे के लिये दो गैंडों के बीच हुए संघर्ष में होती हैं। वर्ष 2013 से 31 दिसम्बर 2019 तक करीब सात गैंडों की मौत हो चुकी है। पार्क अधिकारियों की माने तो मंगलवार को हुई गैंडे की मौत के बाद अब दुधवा की गैंडा पुनर्वास फेस-वन में 34 व फेस टू-में चार गैंडे वास कर रहे हैं। कुल मिलाकर अब गैंडा पुनर्वास में 38 गैंडे बचे हैं।
दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर रेंज में इस बार एक बाघिन के साथ पांच शावकों के देखे जाने से पार्क प्रशासन से लेकर वन्यजीव प्रेमियों में खासी खुशी व उत्साह था। लेकिन मंगलवार को साल 2019 के आखिरी दिन पार्क प्रशासन और वन्यजीव प्रेमियों को तब बड़ा झटका लगा जब उन्हें नर गैंडे के मौत की सूचना मिली। साल के आखिरी दिन हुई इस घटना ने नए सत्र को लेकर दुधवा के अधिकारियों के साथ सैलानियों का जोश ठंडा कर दिया है। पार्क अधिकारियों ने बताया कि मरने वाले गैंडे की उम्र छह साल की थी और वह युवा अवस्था में था। बताया कि दक्षिण सोनारीपुर रेंज के ककरहा कंपार्टमेंट नंबर छह में गश्ती दल को गैंडे का शव मिला था। अगर गैंडों के मौतों के आकड़ों को देखा जाये तो अधिकतर गैंडों की मौत सर्दी के सीजन में और मादा गैंडे को पाने के लिए आपसी संषर्घ में हुईं हैं। मई महीने में हुई राइनो सेसंर्स गणना के अनुसार गैंडापुनर्वास परियोजना-फेस वन में 34 और फेस-टू में चार गैंडों को मिलाकर संख्या 38 है।
कब और कैसे किस सीजन में हुईं गैंडों की मौत
- 21 फरवरी 2013 में चार माह के एक मादा गैंडे का शव मिला था। मौत का कारण रीढ़ की हड्डी में फैक्चर और फेफड़ों में अधिक खून बहना बताया गया था।
- 11 जनवरी 2014 को सर्दी के चलते 45 दिन के नवजात गैंडे की मृत्यु हो गई थी। इसका शव जंगल में गश्त के दौरान मिला था।
- दो जुलाई 2015 में सोनारीपुर की सलूकापुर रेंज में दो गैंडों के बीच हुए संघर्ष में गई थी नर गैंडे की मौत
- दुधवा के गैंडों के पितामाह बांके की एक दिसम्बर 2016 को हुई थी मौत। बांके 49 साल का था। तब तक दुधवा में 34 गैंडे वास करते थे।
- 4 मार्च 2017 को राइनो प्रोजेक्ट एरिया में एक बाघ ने हमला कर 20 वर्ष के सहदेव नाम के गैंडे को मार डाला था।
- 25 फरवरी 2019 में आपसी संघर्ष में 15 वर्ष के भीम सेन नामक गैंडे की मौत हो गई थी।
- 31 दिसम्बर 2019 में दक्षिण सोनारीपुर रेंज के ककरहा कंपार्टमेंट नम्बर छह में मिला नर गैंडे का शव
डाक्टरों के पैनल ने किया गैंडे के शव का पोस्टमार्टम
गैंडे के शव का पोस्टमार्टम छह डाक्टरों के पैनल ने किया। इस पैनल में लखनऊ से पहुंचे डा. उत्कर्ष शुक्ला, पशु चिकित्साधिकारी पलिया डा. जेवी सिंह, आईवीआरआई बरेली के डा. अशोक, डब्ल्यूटीआई पीलीभीत के डा. दक्ष गंगवार व डा. दया शामिल रहे। पीएम रिपोर्ट में गैंडे की मौत आपसी संघर्ष में होनी पाई गई।
दो घंटे तक चला पोस्टमार्टम
दुधवा के वार्डेन एसके अमरेश ने बताया कि मृत गैंडे के शव का पीएम करीब दो घंटे तक छह डाक्टरों की टीम ने किया। पोस्टमार्टम के बाद गैंडे के शव को घटनास्थल के पास ही जेसीबी मशीन से गढ्ढा खुदवाकर दफन कर दिया गया।
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