जिला अस्पताल में तैनात आउट सोर्सिंग कमियों को नहीं मिला 7 माह से मानदेय
कुशीनगर मेडिकल कॉलेज से जुड़े जिला अस्पताल में 200 से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को पिछले सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारियों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें कर्ज...
कुशीनगर। कुशीनगर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में आउटसोर्सिंग पर तैनात करीब 200 सौ से अधिक कर्मचारियों को पिछले सात माह से वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारियों को परिवार का पालन-पोषण करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारी जहां ब्याज पर पैसा उठाने को मजबूर हैं, वहीं उन्हें अस्पताल तक आने जाने के किराये के लिये भी आये दिन किसी ना किसी से कर्ज लेना पड़ता है। जिला अस्पताल के जिम्मेदार उनके वेतन को लेकर खामोश बैठे हैं, जिसका फायदा उठाते हुये निजी कंपनियां भी भी बेलगाम हो गई हैं। दबाव पड़ने पर एक माह का वेतन देकर फिर पुराने ढर्रे पर चली जाती हैं।
जिला अस्पताल में आउट सोर्सिंग पर सिक्योरिटी गार्ड, अटेंडेट, स्वीपर, कंम्प्यूटर ऑपरेटर, लिफ्टमैन, वार्ड ब्वाय, बिजली मैकेनिक, सीवरमैन आदि के पदों पर करीब 200 सौ से अधिक कर्मी तैनात हैं। इन कार्मियों की शिफ्ट वाइज अस्पताल में ड्यूटी लगती है। इन कर्मचारियों को सात महीने से बिना वेतन के ही काम करना पड़ रहा है। वेतन नहीं मिलने से खफा कर्मचारियों ने कहा कि कई बार इस बारे में एजेंसी संचालक और विभागीय अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन एक या दो दिन में वेतन आने की बात कहते हैं। लेकिन सात माह से अधिक होने के बाद भी इनका वेतन नहीं मिल सका है। ऐसे में कर्मचारियों को इधर-उधर से उधार या ब्याज पर पैसा लेकर घर का चूल्हा जलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने कहा कि वे अपना काम ईमानदारी व लगन से करते हैं तो वेतन भी प्रतिमाह दिया जाना चाहिये। कर्मचारियों का कहना है कि कई महीने से वेतन का एक भी पैसा नहीं मिला है। खाली पेट और खाली जेब लेकर प्रतिदिन समय से अपने ड्यूटी करने के बाद भी जिम्मेदार हम लोगों की मजबूरी को नहीं समझ रहे। कर्मचारियों ने बताया कि यहां निजी कंपनियों में अवनि परिधी, शिवम्, रामा और आकृति से करीब दौ सौ से अधिक कर्मी तैनात हैं, लेकिन कोई भी कंपनी समय से भुगतान नहीं करती। सभी ने पांच से सात माह का वेतन नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि दबाव बनाने पर एक माह का वेतन भेज दिया जाता है, जो लोगों से लिये कर्ज देने में ही खर्च हो जाता है, जिससे हम लोगों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन्होंने समय से प्रतिमाह वेतन भुगतान करने की मांग की है।
कोट-मानदेय नहीं मिलने की जनकारी पर निदेशालय से वार्ता की है। मानदेय के बिल पर डीजीएमई के हस्ताक्षर हो गए हैं। दो से तीन दिन में सभी के मानदेय मिल जाएंगे।
डॉ आरके शाही, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
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