महाकुंभ से पहले किन्नर अखाड़े में दो फाड़; महामंडलेश्वर भवानी का इस्तीफा, कहा- अब नागा साधु है पहचान
प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ 2025 से ठीक पहले किन्नर अखाड़े की वरिष्ठ पदाधिकारी व महामंडलेश्वर भवानी गिरि ने भले ही सभी पदों से इस्तीफे का ऐलान कर दिया हो लेकिन आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नाराणय त्रिपाठी ने किसी को अब तक बाहर न करने का ऐलान किया है।
प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ 2025 से ठीक पहले किन्नर अखाड़े की वरिष्ठ पदाधिकारी व महामंडलेश्वर भवानी गिरि ने भले ही सभी पदों से इस्तीफे का ऐलान कर दिया हो लेकिन आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नाराणय त्रिपाठी ने किसी को अब तक बाहर न करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि हम सब किन्नर एक हैं और जब तक कोई किन्नर अखाड़े से अलग शिविर नहीं लगाएगा, उसे बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जाएगा। इस वक्त जब सभी अखाड़े महाकुम्भ 2025 की तैयारियों में जुटे हैं, किन्नर अखाड़े में दो फाड़ दिखने लगा है।
अखाड़े की राष्ट्रीय महासचिव व महामंडलेश्वर भवानी गिरि ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि हम लोग गद्दी किन्नर हैं जो वाल्मिकी समाज से आते हैं इसलिए हम लोग रुढ़ीवादी सोच के हैं जबकि किन्नर अखाड़े से हमारी सोच एकदम अलग हैं। वहां पढ़े लिखे लोग हैं और उनके यहां समलैंगिकों को भी जगह दी जाती है, हमारे यहां पर ऐसा नहीं है। किन्नर अखाड़े में गुरु की परंपरा है ही नहीं, वो आज दुनिया में अपने विकास पर ध्यान दे रहे हैं। भवानी ने कहा कि उन्होंने 2016 में दिल्ली में किन्नर धाम संस्था की स्थापना की और उनका मूल उद्देश्य किन्नरों का विकास है। वह खुद भी इस समुदाय को छोड़ नहीं सकतीं।
जूना के नागा साधु के रूप में रहेगी पहचान
भवानी गिरि ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किन्नर अखाड़े से दूरी की है लेकिन जूना अखाड़े के नागा साधु के रूप में उनकी पहचान थी और रहेगी। अगर गुरु महंत हरि गिरि बुलाएंगे तो जरूर आएंगे। उन्होंने हमें शिष्य बनाया है और हम उनके चेला हैं।
महाकुम्भ में 55 किन्नर बनेंगे महंत और महामंडलेश्वर
महाकुम्भ 205 में किन्नर अखाड़े का विस्तार होगा। देश विदेश से आने वाले 55 किन्नरों को अखाड़ा महंत, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु जैसे पद देगा। इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। हर साल महाकुम्भ में बड़े स्तर पर महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं। इस बार महाकुम्भ में किन्नर अखाड़े ने 55 पदाधिकारी नियुक्त करने की तैयारी की है। यह वही लोग होंगे, जिन्होंने देश और विदेश में सनातन धर्म के प्रचार के लिए व्यापक अभियान चलाया है। पद पाने वाले यह संत मूल रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य प्रदेश के हैं। विदेश के संतों को पद दिया जाएगा, जो ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, रूस, अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका में रहते हैं।