क्राफ्ट क्षेत्र में आईआईटी का आना शिल्पकारों के लिए वरदान : आनंदीबेन
क्राफ्ट क्षेत्र में आईआईटी का आना शिल्पकारों के लिए वरदान : आनंदीबेन क्राफ्ट क्षेत्र में आईआईटी का आना शिल्पकारों के लिए वरदान : आनंदीबेन क्राफ्ट क्षे
कानपुर। क्राफ्ट क्षेत्र में आईआईटी का आना भारतीय शिल्पकारों के लिए वरदान है। उनके हुनर को दुनिया के सामने लाने व लुप्त कला को नवजीवन देना आसान होगा। ये बातें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को लाजपत भवन, मोतीझील में आयोजित क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी के दौरान कहीं। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। आईआईटी कानपुर और क्राफ्टरूट्स संस्था के बीच समझौता भी हुआ। संस्था की ट्रस्टी अनारबेन पटेल और आईआईटी अधिकारियों ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। राज्यपाल ने समझौते को बेहतर कदम बताते हुए इससे बड़ा बदलाव आएगा। पांच दिवसीय प्रदर्शनी में देश के 22 राज्यों के 100 से अधिक शिल्पकारों ने 70 से अधिक हस्तकलाओं का प्रदर्शन किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय क्राफ्ट शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही क्राफ्ट यूनिवर्सिटी स्थापित होगी। सरकार के साथ मिलकर इसके लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। पीजी, पीएचडी स्तर के कोर्स यूनिवर्सिटी से किए जा सकेंगे। कला में निखार और डिजाइन तैयार करके शिल्पकार विश्व में धाक जमा सकेंगे। सीखने और सिखाने का सिलसिला बेहद जरूरी है। कहा कि देश में करीब ढाई करोड़ हस्त शिल्पकार हैं। पीढ़ियों से यही काम कर रहे हैं, लेकिन आज तक इन्हें पहचान की जरूरत है। उनके पास हुनर होने के बावजूद कोई डिग्री नहीं है। यूनिवर्सिटी खोलने के स्थान पर कहा कि जहां कच्चा माल और शिल्पकारों को सहूलियत होगी, वहीं इसको स्थापित किया जाएगा। अलग-अलग शहरों में इसके सेंटर बनाए जाएंगे।
राज्यपाल ने कहा कि अब क्राफ्ट के क्षेत्र में युवाओं का क्रेज और आना तेजी से बढ़ा है। पहले उत्पाद तो कारीगर बनाते थे, लेकिन बाजार सीधे तौर पर नहीं मिलने से कई तो इस क्षेत्र को छोड़ ही देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। प्रदर्शनी और मेले के आयोजन से बाजार मिलना अब आसान हो चुका है। कला और कलाकार एकजुट होने का अहसास कराते हैं। उन्होंने बेटियों को हर हाल में पढ़ाने पर भी जोर दिया।
आईआईटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अगवाल, कानपुर विवि के कुलपति प्रो. विनय पाठक, एचबीटीयू के कुलपति प्रो. शमशेर, सीएसए कुलपति प्रो. एके सिंह, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, बुन्देलखंड विवि झांसी के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय के अलावा डीएम राकेश कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, सुदीप गोयनका, डॉ. शेफाली राज आदि मौजूद रहे।
प्रदर्शनी में सजावट, दैनिक उपयोग, परिधान समेत हाथों से बनी बेहतरीन सामग्री देख शहरवासी चकित हो उठे। पीतल, तांबे से बने बर्तन, फटे-पुराने कपड़ों से तैयार बैग, लकड़ी की बनी ज्वेलरी, बेहतरीन डिजाइन वाले परिधान खरीदारों को खूब लुभाते रहे। पीतल की बनी मूर्तियां खासकर साढ़े तीन लाख रुपये की बालाजी मूर्ति आकर्षण का केंद्र रही।
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