कानपुर में विशेषज्ञ बोले- 90 फीसदी आंखों की रोशनी छीन रही डायबिटीज
कानपुर, वरिष्ठ संवाददाता। आंखों की रोशनी के लिए डायबिटीज सबसे बड़ा खतरा है। इसकी
कानपुर, वरिष्ठ संवाददाता। आंखों की रोशनी के लिए डायबिटीज सबसे बड़ा खतरा है। इसकी जांच में लापरवाही अंधेपन की दहलीज तक पहुंचा देती है। 90 फीसदी आंखों की रोशनी डायबिटीज की वजह से जा रही है। इसलिए इसके पीड़ितों आंखों की जांच नियमित करानी चाहिए। यह सलाह रविवार को होटल लैंडमार्क में कानपुर ऑप्थेलमिक सोसाइटी की ओर से आयोजित 15वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस-कॉन्फ्लुएंस में देश-प्रदेश से आए नेत्र रोग विशेषज्ञों ने दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री व विजन आई सेंटर, नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार ग्रोवर ने कहा कि अंधेपन के कई कारण हैं। सफेद मोतिया बड़ा कारण है, जबकि बढ़ती आयु, काला मोतिया, डायबिटीज और कार्निया भी हैं। हालांकि, जागरूकता बढ़ने से अंधापन का प्रतिशत अब 0.3 है, जबकि 20 साल पहले यह आंकड़ा 1.3 प्रतिशत था।
देश में बेहतर इलाज पर गरीब हो रहे परेशान
डॉ. ग्रोवर ने कहा कि देश में आंखों का इलाज बेहतर ढंग से हो रहा है। एडवांस टेक्नोलॉजी से आंखों की पलक, आंसू के ड्रेनेज, आंखों के पीछे का पार्ट खराब होने का इलाज अब संभव है। बेहतर इलाज करने में विश्व में हम टॉप फोर देशों में हैं। विदेशी भी भारत में आकर अपनी आंखों का इलाज कराते हैं। हालांकि देश के निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति को अभी बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है। इलाज महंगा होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्थिति नहीं है। मेडिकल एसोसिएशन और सरकार को मिलकर काम करना होगा।
पांच साल में स्पेशलिस्ट की कमी दूर करने की चुनौती
2009 में मेडिकल क्षेत्र में बेहतरीन योगदान पर पद्मश्री से सम्मानित डॉ. ग्रोवर का मानना है कि विशेषज्ञों की कमी देश में है। पांच साल में इनकी संख्या को बढ़ाना होगा, हालांकि अब कॉलेज में एमबीबीएस करने वाले छात्रों की सीट काफी बढ़ाई हैं। बताया कि ओकुलो प्लास्टिक सर्जरी अब काफी आसान हो गई है। डॉ. अशोक कुमार ग्रोवर ने बताया कि अब स्टेम सेल थेरेपी आंखों के लिए काफी कारगर है।
कोलकाता कांड का सच आना चाहिए सामने
डॉ. ग्रोवर ने कहा कि कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर की रेप के बाद हत्या शर्मनाक है। यह मेडिकल जगत के लिए बड़ा झटका है। प्रकरण की सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार को एक-एक बिंदुओं का सच सामने लाना होगा। आए दिन डॉक्टर व तीमारदारों के बीच संघर्ष पर कहा कि यह गलत परंपरा है। मेडिकल छात्रों को संयम और शालीनता नहीं भूलनी चाहिए।
आंखों की रोशनी चुरा रही शुगर : डोगरा --- फोटो है
रेटिना सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. मंगत राम डोगरा ने कहा, डायबिटीज पीड़ित मरीजों को आंखों को लेकर खास सावधानी बरतने की जरूरत है। साधारण तरीके से शुगर की जांच कराने से आंखों पर असर की जानकारी नहीं हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञ के पास जाकर पुतली फैलानी वाली दवा डालकर जांच करानी चाहिए। इससे पूरी हकीकत सामने आ जाएगी। मौजूदा समय में जवानी में ही शुगर होने के कारण मोतियाबिंद हो रहा है।
कार्यक्रम में यह रहा खास :
150 से अधिक नेत्र सर्जन ने नेत्र रोग, जांच और उपचार की नई तकनीकों के बारे में विचार विमर्श किया। कार्यक्रम में आंसुओं के जरिए ड्राई आई की जांच करने वाली पहली आधुनिक मशीन रेक्टा की प्रस्तुति भी की गई। पतले पर्दे वाले मरीजों में लेंस का प्रत्यारोपण करने के बारे में भी बताया गया। नई-नई तकनीकों के बारे में डॉक्टरों ने जानकारी साझा की। आंखों के विभिन्न रोगों के बचाव व इलाज के बारे में चर्चा की गई। डॉ. अनवारुल इस्लाम ने कॉस की एनुअल मैंगज़ीन का अनावरण किया।
इन वरिष्ठ चिकित्सकों की रही सहभागिता :
ग्लूकोमा सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. देवेंद्र सूद, डॉ. मोहन राजन, डॉ. राजेश सिन्हा, डॉ. तुषार अग्रवाल, डॉ. पारुल एम. शर्मा, डॉ. प्रत्युष रंजन, डॉ. जया गुप्ता, डॉ. श्रीदेवी नायर समेत कई शहरों से आए वरिष्ठ विशेषज्ञों ने अनुभव साझा किए। डॉ. सोनिया दमेले, डॉ. पारुल सिंह आदि ने स्वागत किया।
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