टेंडर में अंडरग्राउंड की शर्त मौके पर ऊपर से डाली गई स्ट्रीट लाइट की केबिल
कानपुर देहात में नगरीय निकायों में ठेकेदारों और जिम्मेदारों की मिलीभगत से स्ट्रीट लाइट के टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। कई नगर पंचायतें ऊपर से केबिल डालकर लाइटें लगा रही हैं, जबकि तकनीकी...
कानपुर देहात। नगरीय निकायों में ठेकेदारों के खेल मंे निकायों के जिम्मेदार खुद शामिल नजर आ रहे हैं। जिले की कई नगर पंचायतों में अलग से स्ट्रीट लाइट लगाने के काम में टेंडर की शर्तों को अनदेखी करके ऊपर से केबिल डालकर काम कर लिया गया। नगर पंचायत इसके लिये भुगतान में कटौती की बात करते हैं, लेकिन टेंडर मंे उल्लंघन के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। नगरीय निकायों में चल रहे खेल रुक नहीं रहे हैं। पहले ही ई- रिक्शा समेत तमाम खामियों पर सवाल हो चुके हैं, लेकिन सबको ठंडे बस्ते मंे डाल दिया गया। वहीं लाखोें खर्च करके स्ट्रीट लाइट की अलग से व्यवस्था के नाम पर फिर एक नया खेल हो गया। अब तक नगर पंचायतंे सड़कों पर लगे बिजली विभाग के पोल पर ही लाइट लगाकर स्ट्रीट का इंतजाम कर रहीं थीं। बीते दो साल से निकायों ने सुंदरीकरण के लिहाज से अलग से स्ट्रीट लाइटें लगवाईं हैं। इसमंे अंडरग्राउंड केबिल के साथ नये अलग पोल लगाकर बिजली से गलियां रोशन की गईं। वहीं इस काम में भी कई ठेकेदारों ने निकाय के जिम्मेदारों के साथ सांठगांठ कर ली। मूसानगर, रनियां, अकबरपुर आदि कई स्थानों पर अंडरग्राउंड केबिल की जगह ऊपर से केबिल डाल कर लाइटें लगाई गईं हैं। टेंडर की शर्तों के विरुद्ध काम होने पर निकायों ने नया फार्मूला निकाल दिया। उनका कहना है कि इसके लिये भुगतान में कटौती गई है। जहां अंडर ग्राउंड पाइप लाइन या कोई दूसरी समस्या थी वहां ये किया गया, जबकि नियमों के अनुसार टेंडर जारी होने के पहले कार्यस्थल का तकनीकी परीक्षण होने के बाद एस्टीमेट बनाया जाता है। ऐसी स्थिति में तकनीकी परीक्षण करने वाले से लेकर टेंडर जारी करने वाले तक जिम्मेदार हैं। वहीं स्थानीय लोेगोंे की मानें तो अब अधिकांश निकायों में इसी तरह का खेल किया जा रहा है। इसमंे कटौती के नाम पर लाखों का खेल अलग से हो रहा है।
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