Farmers Urged to Test Soil Before Chickpea Sowing in Bundelkhand चना फसल की बुआई करनी है तो पहले मिट्टी की जांच कराएं, Jhansi Hindi News - Hindustan
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चना फसल की बुआई करनी है तो पहले मिट्टी की जांच कराएं

Jhansi News - मृ़दा हेल्थ कार्ड बता देगा पोषक तत्वों की जानकारियां बाजार में रहती है हमेशा डिमांड, बुंदेलखंड में होता उत्पादनझांसी,संवाददाताबुन्देलखंड में किसान पर

Newswrap हिन्दुस्तान, झांसीFri, 11 Oct 2024 10:38 PM
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चना फसल की बुआई करनी है तो पहले मिट्टी की जांच कराएं

झांसी,संवाददाता बुन्देलखंड में किसान पर्याप्त मात्रा में चना का उत्पादन करते है। बाजार में हमेशा इसकी मांग भी बनी रहती है। जिसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है। उन्होंने कहा कि चना बुआई के पहले किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करा लें ताकि कोई पोषक तत्व कम हों तो उन्हें पूरा किया जा सके।

रबी सीजन में बुंदेलखण्ड में अधिकाधिक किसान चने की खेती करते हैं। चना में प्रोटीन एवं फाइबर पाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। चने की खेती करने के लिए वैज्ञानिक सलाह रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी कृषि वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी आर्य ने दी है। चने की बुवाई हेतु मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की जाँच करें ताकि सही खाद का चयन किया जा सके।

बताया कि चना, के लिए उर्वरक आवेदन का अनुपात एन.पी.के. 20-40-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होता है। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि दलहनी फसलों की विशेषता यह है कि वे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थरीकरण कर सकती हैं, इसलिए नाइट्रोजन की मात्रा कम रखी जाती है। फास्फोरस और पोटाश का उपयोग फसल की विकास दर और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होता है। मिट्टी में ट्राइकोडर्मा उपचार का उपयोग 2-5 किलोग्राम को 2-3 क्विंटल गोबर खाद के साथ संवर्धित कर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें ताकि दलहनी फसलों को मृदा जनित रोगों से बचाया जा सके।

पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने, रोगों को नियंत्रित करने और मिट्टी की जीवांशता को सुधारने में प्रभावी होता है। इसके अलावा, अच्छे और प्रमाणित बीज का चुनाव करें जैसे की आरवीजी 202, 204, आईपीसी 2006-77, बीजी 3062, बीजीएम 10216, आदि। बीजों को फफूंद (फंगस) से बचाने के लिए 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कवकनाशी जैसे थीरम या कार्बेन्डाज़िम का शोधन करें। इसके साथ बुवाई के 24-48 घंटे के भीतर, पेंडामेथालिन, जो की एक प्री-एमेर्जेंस खरपतबार नाशी रसायन है, का उपयोग 1 से 1.5 लीटर प्रति 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें ताकि फसल को खरपतवार की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।

कीट और रोगों से बचाव के लिए, फसल के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करें और आवश्यकतानुसार कीटनाशक जैसे, क्लोरन्ट्रानिलिप्रोल का 0.25 मि.ली. प्रति लीटर या इंडॉक्साकार्ब का 1-2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें। साथ ही साथ हमेशा विशेष उत्पाद लेबल की जाँच करना आवश्यक है ताकि सही मात्रा और निर्देश मिल सकें। खेत में जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें, क्योंकि अधिक पानी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है।

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