झांसी अस्पताल की आग में अपने लाल हो गए खाक, किसी और के बच्चे ले गए दो परिवार
झांसी के अस्पताल में हुए हादसे के बाद कई तरह की व्यथा-कथा सामने आ रही हैं। दो परिवारों के बच्चे आग में जल गए लेकिन उन्हें किसी और के जिंदा बच्चे मिल गए। दोनों परिवार लेकर उन्हें भी चले गए।
झांसी मेडिकल कॉलेज का भयावह हादसा कई व्यथा-कथाएं रचकर गया। झांसी के एरच और ललितपुर के दो परिवार भी इसका हिस्सा बन गए। दरअसल, दोनों परिवारों के मासूम शुक्रवार की रात एनआईसीयू में भर्ती थे। भयानक आग लगने के साथ चीखपुकार और भगदड़ के बाद से दोनों परिवार बच्चों की तलाश में इधर से उधर चक्कर लगा रहे थे। शनिवार को मृतक बच्चों के पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि इनमें से दो बच्चे इन्हीं दो परिवार के हैं। जानकारी होने पर प्रशासन ने दोनों परिवारों से संपर्क किया तो पता चला कि परिजन अपने-अपने जिलों के लिए बच्चों को लेकर कूच कर चुके हैं। प्रशासन की टीम भी भौचक थी कि दोनों परिवारों के बच्चों की मौत की सूचना इन्हें कैसे दी जाए वो भी तब जब वे गलती से दूसरे का जिंदा मासूम लेकर चले गए हैं। पुलिस ने दोनों परिवारों को बच्चों समेत मेडिकल कॉलेज बुलाया है। हालांकि दोनों परिवारों की पहचान को प्रशासन ने फिलहाल गुप्त रखा है।
मेडिकल कालेज में एनआईसीयू में शुक्रवार को आग लगने के बाद सात बच्चों की शिनाख्त होने के बाद सभी को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया था। यहां पर सभी के पोस्टमार्टम के बाद पांच बच्चों को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया जबकि दो बच्चों को लेकर परिजनों ने टैग के आधार पर आपत्ति जताई। इस पर स्वास्थ्य विभाग व पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी। सूची के आधार पर पता चला कि उक्त बच्चों में एक एरच (झांसी) व दूसरा ललितपुर के परिवार का है।
परिजनों से सम्पर्क किया गया तो पता चला कि दोनों परिवारों के पास जिंदा बच्चे हैं। उन्हें बच्चों के साथ मेडिकल कॉलेज बुलाया गया, लेकिन सच्चाई फोन पर नहीं बताई गई। हालांकि उक्त मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग से लेकर पुलिस विभाग के अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। पुलिस की माने तो एरच व ललितपुर की फैलमी को बच्चों के साथ बुलाया गया है।
आग करती रही तांडव, टंगे रह गए फायर एक्सटीन्गुइशर
झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही की बातें सामने आने के बाबत डिप्टीसीएम ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन फिलहाल पता चला है कि वार्ड के आसपास जो फायर एक्सटीन्गुइशर लगे थे वे टंगे ही रह गए क्योंकि आग लगने के वक्त सेफ्टी अलार्म भी नहीं बजा।
बजा होता तो बचाव कार्य तेजी से शुरू किया जा सकता था, जिससे बच्चों की जान बच सकती थी। यह हाल तब है जब फरवरी माह में फायर सेफ्टी आडिड हुआ था और जून माह में मॉक ड्रिल किया गया था। हालांकि चीफ फायर आफिसर ने कहा कि आग लगने के बाद यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि अलार्म बजा भी था या नहीं। वह सही स्थिति में था या नहीं भी था। यह तय है कि यदि अलार्म बज गया होता तो मासूमों की मौत की संख्या शायद कुछ कम हो जाती।
एक्सपायर सिलेंडर के इस्तेमाल की बात प्राचार्य ने नकारी
घटना के बाद आग बुझाने वाले सिलेंडरों को लेकर सोशल मीडिया वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं, जिनमें अस्पताल में टंगे पीताम्बरा फायर सर्विस नाम की चिट लगे सिलेडर में अंकित तिथि 24,07,2021 है। हालांकि आपका अपना अखबार हिन्दुस्तान ऐसे किसी वायरल वीडियो फोटो की पुष्टि नहीं करता है। वायरल फोटो-वीडियो में करीब तीन साल पहले ही यह एक्सपायर हो गया है। बताया गया कि इसका प्रयोग किया गया, लेकिन पर यह आग बुझाने में नाकाम रहा।
आरोप लगाजा जा रहा है कि हालाकि फायर सेफ्टी फरवरी में और माकड्रिल जून में होने के बाद भी इस एक्सपायर सिलेंडर पर किसी की भी निगाह नहीं पड़ी। हालांकि मेडिकल कालेज के प्राचार्य एन एस सेंगर ने कहा कि जून के माह में चार फायर सिलेंडर क्रियाशील थे। ये जून में नए लगवाए गए थे। उन्होंने कहा कि आग के दौरान कई दरवाजे तोड़े गए। वहां कंडम सामान भी रखा था, जिसमें पुराने सिलेंडर भी थे, उन्हीं की फोटो वायरल हो रही हैं।