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झांसी अग्निकांड पर सीएम योगी सख्त, त्रिस्तरीय जांच होगी, छह बच्चे अब तक लापता

झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में शुक्रवार रात लगी भीषण आग में 10 बच्चे जिंदा जल गए। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हो गए हैं।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, झांसीSat, 16 Nov 2024 08:25 PM
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झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में शुक्रवार रात लगी भीषण आग में 10 बच्चे जिंदा जल गए। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हो गए हैं। शनिवार तड़के ही डिप्टी सीएम और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक झांसी पहुंच गए। घटना की त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। मृतक बच्चों के बदहवास परिजनों को दिलासा देते हुए ब्रजेश पाठक ने कहा कि अग्निकांड में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उधर, घटना के बाद लगभग छह बच्चों का अब तक कोई पता नहीं चला है तो तीन बच्चों के शव इस कदर जल गए कि उनकी शिनाख्त तक नहीं हो सकी।

सीएम योगी ने मृतक बच्चों के परिजनों को 05-05 लाख और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि तत्काल प्रदान करने के निर्देश दिए। साथ ही मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में घटना की जांच रिपोर्ट देने को कहा है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने घटना पर शोक व्यक्त किया है। जिलाा प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। किसी का यदि नवजात शिशु लापता है, या घटना के संबंध में कोई भी जानकारी चाहिए तो 6389831357 नंबर पर जानकारी ले सकता है।

हादसे के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य समेत तमाम अफसरों के साथ शनिवार तड़के झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि परिजनों के साथ मिलकर बच्चों की पहचान की जा रही है। घटना की जांच तीन स्तरों पर होगी। पहली जांच शासन स्तर से होगी जो स्वास्थ्य विभाग करेगा। दूसरी जांच जिला पुलिस-प्रशासन के साथ होगी, जिसमें अग्निशमन अफसर भी होंगे जबकि तीसरी जांच मजिस्ट्रेटियल होगी।

शोक संतृप्त परिजनों से मिलकर डिप्टी सीएम ने कहा कि सरकार आपके साथ खड़ी है। घटना कैसे व किन कारणों से हुई? इसका पता लगाया जाएगा और लापरवाही करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने हादसे में घायल बच्चों और महिलाओं को बेहतर इलाज की निगरानी के आदेश देने के साथ एनआईसीयू समेत तमाम वार्डों का निरीक्षण किया। फिलहाल माना जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट के चलते यह हादसा हुआ है।

डीएनए टेस्ट कराकर सौंपेंगे बच्चे

कुछ बच्चों के वार्ड से लापता होने पर कहा डिप्टी सीएम ने कहा कि एनआईसीयू में वर्तमान में 17 बच्चे हैं। चार वात्सल्य प्राइवेट अस्पताल, तीन मातृत्व अस्पताल, एक ललितपुर, तीन मऊरानीपुर में भर्ती हैं, छह बच्चों के परिजनों से सम्पर्क का प्रयास किया जा रहा है। लापता बच्चों पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जबकि 10 मृतकों में तीन बच्चों की शिनाख्त नहीं हो सकी है। इनके डीएनए टेस्ट कराकर शव परिजनों को सौंपे जाएंगे।

रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी लेते रहे योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार देर रात मेडिकल कॉलेज के नीकू वार्ड में आग की दु:खद घटना का संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री के निर्देश पर आलाधिकारियों ने मोर्चा संभाला, जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिये 15 से 20 मिनट में ज्यादातर बच्चों को वहां से निकाला गया। सभी बच्चों को पीकू वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहां सभी सकुशल हैं। मुख्यमंत्री पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की मॉनीटरिंग और अधिकारियों से बातचीत करते रहे। उन्होंने अधिकारियों को पीड़ितों को हर संभव मदद के निर्देश दिये। सीएम योगी ने मासूम बच्चों को खोने वाले परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है।

रेस्क्यू किये गये बच्चे सुरक्षित, बर्न या सफोकेशन इंजरी नहीं

झांसी के डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही दमकल और बचाव की टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। इसके अलावा सभी वरिष्ठ अधिकारी और स्वास्थ्य महकमे के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गये थे। सभी ने तेजी के साथ बचाव राहत कार्यों को अंजाम दिया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि रेस्क्यू किये गए बच्चों को मेडिकल कॉलेज के अन्य वार्डों, जिला अस्पताल और निजी नर्सिंग होमों में भर्ती कराया गया है। सभी बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनमें किसी भी तरह की बर्न या सफोकेशन की इंजरी नहीं है।

फायर फाइटिंग उपकरण दुरुस्त, जून में हुआ था मॉकड्रिल

झांसी रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर नरेंद्र सिंह सेंगर के अनुसार मेडिकल कॉलेज में कुल 146 फायर डिस्टिंग्यूशर सिस्टम लगे हुए हैं। हादसे के समय नीकू वार्ड के फायर डिस्टिंग्यूशर का उपयोग भी किया गया था। इन सभी उपकरणों को समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान कमियों को दूर किया जाता है। फरवरी में इन सभी का ऑडिट किया गया था जबकि जून में मॉक ड्रिल की गयी थी। मेडिकल कॉलेज में फायर डिस्टिंग्यूशर के खराब होने की बात पूरी तरह से निराधार है। वार्ड में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। हादसे की जांच की जा रही है।

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