इंटर पास ने बनाया गिरोह, यूट्यूब से तरीका सीख करने लगा डिजिटल अरेस्ट
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक युवक ने पहले यूट्यूब से साइबर ठगी का तरीका सीखा। इसके बाद उसने गिरोह बनाया और फिर देशभर में लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

फ्री फायर ऑनलाइन गेम की लत ऐसी लगी कि इंटर पास अलीगढ़ के एक युवक ने पहले यूट्यूब से साइबर ठगी का तरीका सीखा और फिर गिरोह बनाकर देशभर में लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। कानपुर में रिटायर ईपीएफओ अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख रुपये की ठगी के बाद जांच में जुटी साइबर क्राइम की टीम ने तीन युवकों को अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है। इंटर पास शातिर और उसके साथियों ने रिटायर ईपीएफओ अधिकारी का पैसा दिल्ली, असोम और गुवाहाटी के तीन खातों में ट्रांसफर कराया। इसके बाद उस पैसे को कई चेन से होते हुए अलीगढ़ स्थित पीएनबी बैंक खाते में मंगाया था। क्राइम ब्रांच ने तीनों को जेल भेज दिया है।
पनकी के शताब्दी नगर हिमालय भवन निवासी रिटायर ईपीएफओ अधिकारी विनोद कुमार झा को साइबर ठगों ने छह अप्रैल 2025 को दिल्ली में फर्जी कंपनी चलाने और मनी लांड्रिंग के नाम पर डिजिटल अरेस्ट किया था। इस दौरान उन्हें सीबीआई अफसर बनकर डराया धमकाया और तीन अलग-अलग राज्यों में स्थित बैंक खातों में 82.30 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए। जब उन्हें जानकारी हुई तो उन्होंने साइबर सेल में मुकदमा दर्ज कराया। क्राइम ब्रांच ने खातों की जांच पड़ताल की तो कई लेयर से होता हुआ पैसा अलीगढ़ के पीएनबी बैंक तक पहुंचने की जानकारी मिली। इस खाते से नगद पैसा निकालने की जानकारी पर सीसीटीवी फुटेज देखे गए। जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने खेरिया बुजुर्ग रंजीतगढ़ी अलीगढ़ निवासी मास्टरमाइंड रौबी कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इसकी निशानदेही पर उसके साथी जितेन्द्र कुमार और रविन्द्र सिंह को पकड़ा गया। क्राइम ब्रांच को इनके पास से 7.70 लाख रुपए कैश और तीन मोबाइल भी मिले हैं।
डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आबिदी के मुताबिक इन लोगों ने अलीगढ़ में अपना बेस बना रखा था। वहीं से तीनों ऑपरेट करते थे। इनके गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा रहा है। जो खाते मिले हैं, उनकी डिटेल के लिए बैंकों को ई-मेल भेजा गया है।
मास्टर माइंड का मिला फोन नंबर
डीसीपी क्राइम ने बताया कि रौबी के गिरोह में कई और सदस्य हैं। इस गिरोह का मास्टर माइंड कोई और है। क्राइम ब्रांच को उसका मोबाइल नंबर मिला है। फिलहाल नंबर बंद जा रहा है लेकिन सर्विलांस टीम को कुछ लोकेशन मिली है। यह मास्टर माइंड ही रौबी को पैसा कहां और किस खाते में ट्रांसफर करना है, इसकी सलाह देता था।
बिटक्वाइन के लिए शुरू की साइबर ठगी
रौबी 12वीं पास है। उसे फ्री फायर ऑनलाइन गेम खेलने की लत थी। गेम खेलने के लिए उसे बिटक्वाइन में पेमेंट की जरूरत होती थी जिसके लिए वह खेल के दौरान ही एक व्यक्ति के संपर्क में आया। जिनके जरिए रौबी ट्रेडिंग के काम में उतर आया। कुछ समय तक ट्रेडिंग का काम करने के बाद उसने यूट्यूब पर डिजिटल अरेस्ट करने का तरीका सीखा और गांव में ही रहने वाले अपने मित्रों जितेन्द्र और रविन्द्र को भी तरीका सिखा दिया। डीसीपी क्राइम के मुताबिक रौबी का गिरोह पिछले छह वर्षों से डिजिटल अरेस्ट कर लोगों के साथ ठगी कर रहा है। अब तक वे लोग 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी को अंजाम दे चुके हैं। डीसीपी के मुताबिक गिरोह का सदस्य जितेन्द्र बी फार्मा की पढ़ाई कर चुका है और रविन्द्र आठ तक ही पढ़ा है।
पांच से 10 हजार देकर डमी खाते तैयार करते थे
डीसीपी क्राइम ने बताया कि रौबी ही लोकल लेवल पर खातों का इंतजाम करता था। इसके लिए वह गरीब व अनपढ़ लोगों को ढूंढता था। पांच से दस हजार रुपये का लालच देकर उनके खाते के केवाईसी में अपना मोबाइल नंबर अटैच करता था। डीसीपी ने बताया ऐसे करीब 23 डमी खातों की जानकारी मिली है जिनकी डिटेल के लिए बैंकों को ई-मेल भेजा गया है।
दिल्ली से गुवाहाटी तक जमा हुई ठगी की रकम, महिला भी आरोपी
ईपीएफओ के रिटायर अधिकारी से ठगी गई 82.30 लाख रुपये की रकम तीन बैंक खातों में मंगाई गई थी। जिसमें एक खाता दिल्ली की आरबीएल बैंक दूसरा खाता असोम की फेडरल बैंक और तीसरा खाता पीएनबी बैंक गुवाहाटी का था। आरबीएल के बैंक खाते के बारे में पुलिस को पूरी जानकारी मिल गई थी। यह बैंक खाता एक वृद्ध महिला के नाम पर था। जिसमें खाते के विवरण में रौबी ने अपना मोबाइल नंबर डाल रखा था। डीसीपी क्राइम ने बताया कि बुजुर्ग महिला का बैंक खाता इस्तेमाल करने के लिए उसे भी हिस्सा मिलता था। एक लाख रुपए के ट्रांजेक्शन में महिला को 20 हजार रुपए मिलता था। ईपीएफओ के रिटायर अधिकारी से ठगी का 19.50 लाख रुपये वृद्ध महिला के खाते में पहुंचा है। उसे भी आरोपी बनाया गया है।
10-15 बैंक खातों को मिली है जानकारी
डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आबिदी ने बताया कि गिरोह के पास से 10-15 बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली है। जो रुपया बरामद हुआ है वो अकेले वृद्ध महिला के खाते का है। बाकी दो खातों में शेष रकम गई थी। जो आगे 10-15 खातों में भेजी गई। इन सभी खातों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। आरोपियों के गिरोह में और भी लोग शामिल हैं। जिनकी तलाश की जा रही है।