निर्दोषों को हुई 800 दिन की जेल, अब उतनी ही सजा काटेगा मृतका का पिता, कोर्ट ने सुनाया फैसला
- बरेली में दहेज हत्या के केस में गवाही के दौरान कोर्ट में बयान से मुकरना मृतका के पिता को बहुत महंगा पड़ गया। न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट ने मामले में जितने दिन निर्दोष पति, सास-ससुर जेल में कैद रहे।
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यूपी के बरेली में दहेज हत्या के केस में गवाही के दौरान कोर्ट में बयान से मुकरना मृतका के पिता को बहुत महंगा पड़ गया। न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट ने मामले में जितने दिन निर्दोष पति, सास-ससुर जेल में कैद रहे, उतने ही दिन की कारावास रिपोर्ट दर्ज कराने वाले मृतका के पिता को 800 दिन तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से दो लाख 54 हजार 352 रूपये का अर्थदंड भी लगाया है। यह राशि मृतका के पिता को निर्दोष पति, सास और ससुर को देना होगा।
एडीजीसी क्राइम सुनील पांडेय ने बताया कि कस्बा बिशारतगंज के बाबूराम ने थाना हाफिजगंज में 20 जुलाई 2023 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसने अपनी बेटी शालू की शादी सतुईया निवासी सोनू के साथ की थी। पति सोनू, ससुर पोशाकी लाल, सास शीला देवी और ससुरालवालो ने दहेज में स्पलेंडर बाइक और एक लाख कैश की मांग को लेकर 20 जुलाई 2023 को शालू की हत्या कर दी। नवाबगंज पुलिस ने तीनों आरोपी को दहेज हत्या की चार्जशीट पेश कर जेल भेजा था। केस की सुनवाई के दौरान मृतका के पिता बाबूराम ने कोर्ट में गवाही के दौरान आरोपी पति, सास, ससुर पर दहेज की खातिर पुत्री शालू की हत्या करने की बात कही।
बाद में जिरह के वक्त उसने कहा कि बेटी मुझसे और मेरी पत्नी से भी झगड़ा करती थी। वह गुस्से में कुछ भी कर सकती थी। जिरह में बाबूराम अपने बयानों से मुकर गया। उसने कहा कि कोर्ट में झूठा बयान दिया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना कि बाबूराम ने निर्दोष पति सोनू, ससुर पोशाकीलाल और सास शीला देवी को जेल भिजवाया। मामले में पति सोनू 510 दिन, ससुर पोशाकी लाल 134 दिन और सास शीला देवी करीब 156 दिन बेवजह जेल में रही। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलों को सुनकर तीनों निर्दोषों के द्वारा कुल 800 दिन जेल के रहने की सजा रिपोर्ट दर्ज कराने वाले बाबूराम को सुनायी।