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घने कोहरे में भी ट्रेन हादसों पर लगेगी लगाम, दो सिग्नल पहले से चालक को अलर्ट करेगी लोकेशन बुक

ट्रेन हादसों पर लगाम लगेगी। अब लोकेशन बुक बताएगी कोहरे में क्या सिग्नल है। ट्रेन ड्राइवरों को डिजिटल लोकेशन बुक उपलब्ध कराई जाएगी। दिल्ली, मुंबई, हावड़ा रूटों पर सिग्नल ओवरशूट नहीं होंगे। दो सिग्नल पहले ही ट्रेन चालक को डिवाइस अलर्ट करेगी।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, कानपुर, राममहेश मिश्रSat, 16 Nov 2024 08:55 AM
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अब दिल्ली, मुंबई और हावड़ा रेलमार्ग पर सिग्नल ओवरशूट नहीं हो सकेगा। इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे में पहली बार ट्रेन ड्राइवरों को डिजिटल लोकेशन बुक उपलब्ध कराई गई है। ट्रैक पर दृश्यता कम होने पर ट्रेनों का संचालन फॉग सेफ्टी डिवाइस (एफएसडी) और डिजिटल सिग्नल लोकेशन बुक के जरिए होगा। अभी तक सिग्नल ओवरशूट होने पर कई चालकों पर विभागीय कार्रवाई होती थी। रेलवे इसे ट्रेन हादसा मानता है। अब चालक को दो सिग्नल पहले ही पता चल जाएगा कि अगला सिग्नल कितनी दूरी पर है और वह उसी हिसाब से ट्रेन का संचालन करेगा।

रेलवे प्रशासन ने कोहरे की तय समयावधि (10 दिसंबर) के पहले ही सुरक्षित संचालन की दोहरी व्यवस्था लागू कर दी है। पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जत नगर मंडल की डीआरएम ने दो दिन पहले सिग्नल लोकेशन बुक दे दी, वहीं उत्तर मध्य रेलवे ने एफएसडी के जरिए ट्रेन चलाने की व्यवस्था लागू कर दी है।

क्या होंगे फायदे
- चालक की जिस रूट पर ड्यूटी होती है तो उस रूट की ही सिग्नल लोकेशन बुक दी जाती है।
- बुक में ट्रैक के कर्व और सिग्नल बायीं या दायीं ओर है, इसकी इंट्री बुक में रहती है।

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इस तरह से समझें
कानपुर से दिल्ली कोई चालक यात्री ट्रेन लेकर जा रहा है तो दो स्टेशनों के बीच में पड़ने वाले सभी सिग्नल पोल अंकित होते हैं। उदाहरण के तौर पर शताब्दी का चालक यदि गोविंदपुरी से पनकी के लिए चलता है और वह गोविंदपुरी से चलने के बाद पहले सिग्नल को पार करने वाला होता है तो चालक को पता चल जाएगा कि तीन नंबर सिग्नल कितनी दूरी पर होगा। अप लाइन पर पोल नंबर विषम और डाउन लाइन के पोल नंबर सम संख्या में होते हैं। विषम जैसे एक, तीन, पांच और सम दो, चार और छह।

चार सिग्नल के होते हैं ट्रैक पर संकेतांक
हरा- पोल पर लगातार हरा सिग्नल मिलने पर चलते रहना है।
डबल पीला- इसका मतलब चालक ट्रेन को कंट्रोल में करके चले
सिंगल पीला- ट्रेन को खड़ा करने के लिए अलर्ट हो जाएं
लाल- इस सिग्नल के पहले ही ट्रेन को हर हाल में रोक देना है।

यूं काम करती है डिवाइस
फॉग सेव डिवाइस सिग्नल पोल और चालक केबिन से कनेक्ट होती है। जब ट्रेन किसी पोल को पार करने वाली होती है तो चालक केबिन में अलार्म बजने लगता है कि अमुख पोल आने वाला है तो चालक की निगाह सिग्नल पर जाती है और उसी के हिसाब से ट्रेन कंट्रोल करता है।

ये होंगे फायदे
- सिग्नल लोकेशन बुक और फॉग सेफ्टी डिवाइस पर ट्रेन संचालन होने से सिग्नल ओवरशूट होने की घटनाएं न के बराबर होने की संभावना रहती है।
- ट्रेन संचालन की दोहरी व्यवस्था से आमने-सामने और पीछे से ट्रेनों के भिड़ने की घटनाएं नहीं होंगी। दृश्यता कम होने पर इस व्यवस्था पर चालक शत-प्रतिशत अमल करें, इसके निर्देश परिचालन टीम ने जारी कर रखे हैं।

पीआरओ इज्जतनगर पूर्वोत्तर रेलवे, राजेंद्र सिंह ने कहा कि भीषण कोहरे में कई बार सिग्नल नहीं दिखते हैं। इस स्थिति में ट्रेन चालक औऱ सहायक चालक के लिए सिग्नल लोकेशन पुस्तिका मददगार साबित होगी। चालक इसमें अंकित ब्योरे के तहत ट्रेन का संचालन करेगा तो दुर्घटना की संभावना न के बराबर रहेगी।

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