Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़In UP, 19% of the schools in urban areas do not have teachers, 12% are dependent on Shikshamitras

यूपी में शहरी क्षेत्र के 19 फीसदी सरकारी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं, 12 प्रतिशत तो शिक्षमित्रों के भरोसे

  • यूपी में शहरी क्षेत्र के 19 फीसदी परिषदीय स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। प्रदेशभर में करीब 12 प्रतिशत स्कूल शिक्षमित्रों के भरोसे चल रहे हैं और ये भी शिक्षक विहीन विद्यालयों की श्रेणी में आते जा रहे हैं।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊ, अजीत कुमारMon, 20 Jan 2025 07:30 AM
share Share
Follow Us on
यूपी में शहरी क्षेत्र के 19 फीसदी सरकारी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं, 12 प्रतिशत तो शिक्षमित्रों के भरोसे

स्थानांतरण या समायोजन की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के 19 फीसदी से अधिक प्राइमरी स्कूल शिक्षक ही नहीं हैं। वहीं करीब 12 प्रतिशत स्कूल शिक्षमित्रों के भरोसे हैं और ये भी शिक्षक विहीन विद्यालयों की श्रेणी में आते जा रहे हैं। हालत है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में कुल 5,104 परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें से 3906 प्राइमरी स्कूल हैं जबकि 1198 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से 970 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं।

दरअसल, सरकार ने वर्ष 2011 के बाद ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों का तबादला ही नहीं किया है। न ही शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों का कोई समायोजन ही किया गया। यही नहीं तब से अब तक शिक्षकों के जब-जब स्थानांतरण हुए शहरी से शहरी क्षेत्र और ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्र में ही हुए हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र जहां शिक्षकों की कमी पहले से ही थी शिक्षकों की हर साल हो रही सेवानिवृति के बाद स्कूल शिक्षक विहीन होते चले जा रहे हैं।

अन्य महानगरों या शहरी क्षेत्रों की बात छोड़िए राजधानी लखनऊ में ही शहरी क्षेत्र के 297 प्राइमरी स्कूलों में से 60 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं। इसके अलावा यहां के 28 स्कूलों की हालत यह है कि एक-एक शिक्षक के जिम्मे दो-दो स्कूलों का प्रभार है। इनमें कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां शिक्षा पाने के लिए अब एक भी बच्चें नहीं आते।

यह स्थिति प्रदेश के अन्य महानगरों व शहरों की भी है, जहां शहरी क्षेत्र में दर्जनों स्कूल शिक्षक विहीन हैं या केवल शिक्षा मित्रों के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं। नतीजा, इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो इस स्थिति के लिए पूरी तरह से विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। ग्रामीण से शहरी में स्थानांतरण खोल दिया जाता तो यह स्थिति कतई नहीं आती।

ये भी पढ़ें:संभल में अब योगी सरकार करने जा रही यह काम, रोजगार लाने की है तैयारी

स्थानांतरण या समायोजन की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के 19 फीसदी से अधिक प्राइमरी स्कूल शिक्षक ही नहीं हैं। वहीं करीब 12 प्रतिशत स्कूल शिक्षमित्रों के भरोसे हैं और ये भी शिक्षक विहीन विद्यालयों की श्रेणी में आते जा रहे हैं। हालत है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में कुल 5,104 परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें से 3906 प्राइमरी स्कूल हैं जबकि 1198 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से 970 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं।

दरअसल, सरकार ने वर्ष 2011 के बाद ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों का तबादला ही नहीं किया है। न ही शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों का कोई समायोजन ही किया गया। यही नहीं तब से अब तक शिक्षकों के जब-जब स्थानांतरण हुए शहरी से शहरी क्षेत्र और ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्र में ही हुए हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र जहां शिक्षकों की कमी पहले से ही थी शिक्षकों की हर साल हो रही सेवानिवृति के बाद स्कूल शिक्षक विहीन होते चले जा रहे हैं।

अन्य महानगरों या शहरी क्षेत्रों की बात छोड़िए राजधानी लखनऊ में ही शहरी क्षेत्र के 297 प्राइमरी स्कूलों में से 60 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं। इसके अलावा यहां के 28 स्कूलों की हालत यह है कि एक-एक शिक्षक के जिम्मे दो-दो स्कूलों का प्रभार है। इनमें कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां शिक्षा पाने के लिए अब एक भी बच्चें नहीं आते।

यह स्थिति प्रदेश के अन्य महानगरों व शहरों की भी है, जहां शहरी क्षेत्र में दर्जनों स्कूल शिक्षक विहीन हैं या केवल शिक्षा मित्रों के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं। नतीजा, इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो इस स्थिति के लिए पूरी तरह से विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। ग्रामीण से शहरी में स्थानांतरण खोल दिया जाता तो यह स्थिति कतई नहीं आती।

|#+|

प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महामंत्री वीरेन्द्र सिंह कहते हैं, 2011 में ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों का समायोजना किया गया था। उसके बाद से आज तक ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में एक भी शिक्षक का समायोजन नहीं हुआ, जिसका नतीजा यह है कि एक के बाद एक कर शहरी क्षेत्र के स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि एक़ दशक से अधिक समय से शहरी में शिक्षकों का समायोजन नहीं होने से कई क्षेत्रों में दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को अटैच कर किसी प्रकार से स्कूलों को संचालित किया जा रहा है। इस संबंध में स्कूल महानिदेशक कंचन वर्मा से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नही हो सका।

शहरी क्षेत्र में हैं 5104 प्राइँरी स्कूल

प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में कुल 5,104 परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें से 3906 प्राइमरी स्कूल हैं जबकि 1198 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से 970 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं जबकि करीब 428 स्कूल शिक्षा मित्रों के हवाले किसी प्रकार से संचालित किए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरी क्षेत्र के इन स्कूलों में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) मानक के अनुसार 119,369 शिक्षक होना चाहिए, जिनके स्थान पर 5,920 शिक्षक ही कार्यरत हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्रों के लिए अभी 13,349 शिक्षकों की जरूरत है अर्थात प्राइमरी में 77 फीसदी एवं अपर प्राइमरी में 40 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है।

प्रदेश के कुछ प्रमुख जिलों में शहरी क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति-

जिले का नाम शिक्षक विहीन स्कूल

लखनऊ 60

गोरखपुर 60

प्रयागराज 74

वाराणसी 56

मेरठ 71

बरेली 72

अयोध्या 66

गौतमबुद्धनगर 69

देवरिया 10

अगला लेखऐप पर पढ़ें