दोस्त छूटे तो जवानी में ही थकने लगा दिमाग, कहीं गलत लाइफ स्टाइल के न हो जाएं शिकार
- गलत लाइफस्टाइल और मोबाइल, सोशल मीडिया में हमेशा व्यस्तता के कारण दोस्तों का साथ छूटना जवानी में ही दिमाग को थका रहा है। यदि आप छोटी-छोटी बातें भूलते हैं तो इसे हल्के में न लें। अचानक भूलने का मतलब कमजोर याददाश्त का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
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आपकी उम्र 40-45 साल है और दिनचर्या से जुड़ी छोटी-छोटी बातें भूलते हैं तो इसे हल्के में न लें। अचानक भूलने का मतलब कमजोर याददाश्त का शुरुआती लक्षण है। भले ही यह अभी कभी-कभार होता हो पर इसका प्रभावी असर 20 से 25 साल बाद डिमेंशिया के रूप में आ जाता है। राष्ट्रीय मेनोपॉज अधिवेशन में देश के अलग-अलग शहरों से आए डॉक्टरों ने भी इसकी तस्दीक की है। उनका मानना है कि गलत लाइफस्टाइल और मोबाइल, सोशल मीडिया में हमेशा व्यस्तता के कारण दोस्तों का साथ छूटना जवानी में ही दिमाग को थका रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में तीन दिवसीय 30वें राष्ट्रीय मेनोपॉज अधिवेशन में विशेषज्ञों की ओर से चौंकाने वाली जानकारियां दी गईं।
चाबी भूलना, अचानक नाम याद न आना
विशेषज्ञों के मुताबिक अक्सर हम या हमारे आसपास के कई लोग चाबी या पर्स रखकर भूल जाते हैं। बात करते समय अचानक किसी का नाम ही याद नहीं आता है।
हंसी-मजाक और दोस्तों संग मस्ती से सुकून
मुंबई, दिल्ली के ब्रेन स्पेशलिस्ट के मुताबिक अब शायद ही कोई नौकरी और व्यापार के सिलसिले में दोस्तों के साथ समय बिताता होगा। दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताने और हंसी-मजाक संग मस्ती बेहद जरूरी है। इससे दिमाग को सुकून मिलता है। वह बेहतर तरीके से काम करता है और याददाश्त मजबूत होती है।
मोबाइल में हमेशा व्यस्तता बड़ा कारण
विशेषज्ञ के अनुसार गलत खानपान, कसरत, योग से पूरी तरह दूरी के अलावा मोबाइल, सोशल मीडिया में हमेशा लगे होने से दिमाग थकता है। लगातार मोबाइल में बिजी रहने से दिमाग को आराम नहीं मिलता है। इसका सीधा असर कमजोर याददाश्त के रूप में आता है। धीरे-धीरे यह लक्षण और तेज हो जाते हैं।
डिमेंशिया 60 से 65 वर्ष में ही घेर रहा
मुंबई के सीनियर ब्रेन स्पेशलिस्ट डॉ. आलोक शर्मा का कहना है कि गलत खानपान और योग, कसरत से दूरी, मोबाइल और सोशल मीडिया पर अधिकांश समय बिता रहे हैं। दोस्तों का साथ छूटने से हंसी-मजाक और मस्ती न होने का दिमाग पर सीधा असर पड़ रहा है। 40-45 साल में ही याददाश्त कमजोर हो रही है। डिमेंशिया के लक्षण का असर 20 से 25 साल बाद प्रभावी ढंग से दिखता है। 70 साल में होने वाली डिमेंशिया बीमारी अब 60 वर्ष में ही घेर रही है।