शादियों में फोड़े पटाखे तो भरना होगा 10 हजार का जुर्माना, यूपी में इस बिरादरी ने की शानदार पहल
यूपी के अमरोहा की मंसूरी बिरादरी ने एक शानदार पहल की है। अगर शादियों में आतिशबाजी की गई तो दस हजार का जुर्माना भरना होगा। साथ ही मंगनी, जवाब देने और अपनाने के नाम पर होने वाली दावतें नहीं होंगी।
यूपी के अमरोहा में ईद के बाद मंसूरी बिरादरी में होने वाली शादियों में फिजूल रस्मे खत्म की जाएंगी। आतिशबाजी छोड़ने पर दस हजार का जुर्माना भरना होगा। मंगनी, जवाब देने और अपनाने के नाम पर होने वाली दावतें नहीं होंगी। इतना ही नहीं दावतों में खाने का मेन्यू भी पंचायत में पारित प्रस्ताव के मुताबिक तय होगा। दहेज से गैर जरूरी सामान गायब होगा।
सोमवार रात मोहल्ला कल्याणपुरा स्थित एक बैंक्वेट हॉल में ऑल इंडिया जमीयतुल मंसूर के संयोजन में संपन्न हुई मंसूरी बिरादरी की पंचायत में सर्वसम्मति से ये सभी फैसले लिए गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद हसन बब्बू मंसूरी ने बिरादरी में होने वाली शादियों में दिन-ब-दिन बढ़ रहीं गलत रस्मों की पुरजोर मुखालफत की। कहा कि समय रहते इन रस्म-ओ-रिवाज को खत्म करना जरूरी हो चुका है। उन्होंने शादियों में खर्चे कम करते हुए बेटी-बेटे को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने की वकालत की।
सूफी मोईन उद्दीन मंसूरी ने कहा कि शादियों में डीजे, नाच, गाने और आतिशबाजी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। शरिअत में भी इन चीजों की कोई गुंजाइश नहीं है लिहाजा फिजूल की रस्मों को खत्म किया जाए। आखिर में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अप्रैल 2025 से शादियों में आतिशबाजी छोड़ने वाले लोगों से 10 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके अलावा बेटियों की विदाई और बेटों के वलीमे की दावत में नॉनवेज के एक व्यंजन के अलावा बिरयानी, जर्दा और हिन्दू मेहमानों के लिए वेज खाना बनेगा। अपनाना, जवाब देना, मंगनी की दावतों को खत्म कर सिर्फ शादी की एक दावत होगी।
दावतों में अधिकतम 2000 लोग शामिल हो सकते हैं और खाना खिलाने का इंतजाम बैठकर करना होगा। इसके अलावा दहेज से गैर जरूरी सामान खत्म किया जाएगा, हैसियत के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा दो वाहन दिए जाएंगे। जिनमें स्कूटी, बाइक और कार रखी गई है। वहीं, इन शर्तों में थोड़ी-बहुत गुंजाइश के लिए पंचायत में 25 लोगों की एक कमेटी का गठन भी किया गया, जिनसे रायशुमारी के बाद आयोजन में कुछ बदलाव मुमकिन हो सकता है। पंचायत की अध्यक्षता ताहिर मंसूरी ने की जबकि संचालन रियाज मंसूरी ने किया। इस दौरान इब्राहीम मंसूरी हाजी कय्यूम मंसूरी, हाजी जफर सुलेमान, सरताज आलम मंसूरी, हाजी आलम मंसूरी, मुस्तकीम मंसूरी, हाजी नसीर मंसूरी, हाजी कामिल मंसूरी, मोहम्मद नसीम अहमद, हाजी अकरम मंसूरी, हाजी जुबैर मंसूरी, दूल्हे हसन मंसूरी, हाफिज दिलदार मंसूरी, हाजी सरफराज मंसूरी, डियर मंसूरी, मोहम्मद नबी मंसूरी आदि मौजूद रहे।