Hindustan Special: यूपी का एक ऐसा शहर, जहां तैयार हो रहा अजमेर की तरह यादगार बुलंद दरवाजा
- बुलंद दरवाजा का नाम सुनते ही आगरा से करीब 40 किलोमीटर दूर फतेहपुर सिकरी ध्यान में आ जाता है। साथ ही जेहन में आता है अजमेर के दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज के पास बना बुलंद दरवाजा।
बुलंद दरवाजा का नाम सुनते ही आगरा से करीब 40 किलोमीटर दूर फतेहपुर सिकरी ध्यान में आ जाता है। साथ ही जेहन में आता है अजमेर के दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज के पास बना बुलंद दरवाजा। अजमेर की ही तर्ज पर बरेली में भी तैयार हो रहा है 65 फीट ऊंचा एक बुलंद दरवाजा, जिसका निर्माण सूफिज्म को बढ़ावा देने वाले खानकाह-ए-नियाजिया के मुख्य द्वार के रूप में कराया जा रहा है।
बरेली में सूफी परंपरा के अजीम बुजुर्ग नियाज बेनियाज शाह नियाज अहमद की खानकाह-ए-नियाजिया दुनिया भर में सूफिज्म के लिए मशहूर है। आम दिनों में भी खानकाह में अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ता है। उसी खानकाह-ए-नियाजिया के पर बुलंद दरवाजा का निर्माण हो रहा है। इसे मुगलकालीन हस्तशिल्प, भारतीय, फारसी और तुर्की वास्तुकला के मिश्रण से तैयार किया जा रहा है। 65 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजा को नक्काशी, मीनाकारी, पच्चीकारी से तराशा गया है। इसमें संगमरमर की जालियां, भूरे और सफेद रंग में मेहराबें व मीनारें लगवाई हैं।
कला का जौहर
बुलंद दरवाजे को खानकाह-ए-नियाजिया के मुख्य द्वार के रूप में बनवाया गया है। दरवाजे को बनाने में तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान के हस्तशिल्पियों की मदद ली गई है। बरेली के बाहर से इसमें विशेष पत्थर भी मंगवाए गए हैं, जिस पर नक्काशी की गई है।
90 फीसदी निर्माण कार्य हुआ पूरा
बरेली में खानकाह-ए-नियाजिया का इतिहास 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। खानकाह-ए-नियाजिया के पूर्व सज्जादनशीन हसनी मियां का विसाल 2020 में हो गया था। खानकाह से जुड़े लोग बताते हैं कि बरेली में बुलंद दरवाजा बनवाने का सपना उन्हीं का था। खानकाह के मौजूदा सज्जादानशीन मेहंदी मियां अब इस दरवाजा के काम को पूरा करने में लगे हैं। इसके निर्माण का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। दरवाजा ऐसा बनाया जा रहा है, जिसकी चमक चांदनी में रात में दूर से ही दिखे।
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