श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस: विवादित धार्मिक चरित्र तय करने की अर्जी, कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से मांगी आपत्ति
- मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे केस की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। कोर्ट ने 30 सितंबर को अगली तारीख लगाई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़े दो वादों में विवादित स्थल का धार्मिक चरित्र तय करने की अर्जी पर भी विपक्षियों से आपत्ति मांगी है। साथ ही कुछ दीवानी मुकदमों में हिंदू पक्ष की संशोधन अर्जियों पर मुस्लिम पक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 17 दीवानी मुकदमों की एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख लगाई है।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी की ओर से सभी वादों की एकसाथ सुनवाई करने के गत 11 जनवरी के आदेश को वापस लेकर अलग अलग सुनवाई करने की अर्जी दी गई है। कोर्ट ने वादी के अधिवक्ताओं को इस अर्जी आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है। मुकदमों में वाद विंदु तय किया जाना है इसलिए उससे पहले सभी लंबित अर्जियों के निस्तारण की कार्यवाही पूरी की जा रही है।
कोर्ट ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मामले में दीवानी मुकदमों की एकसाथ सुनवाई के आदेश की वापसी की अर्जी के निस्तारण के साथ ही सभी वादों की ऐसी आपत्तियां निस्तारित हो जाएंगी। वाद संख्या सात में प्रथम वादी कौशल किशोर ठाकुर का नाम हटाने व अजय प्रताप सिंह का नाम जोड़ने की आपत्ति की गई। अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने व्यवहार प्रक्रिया संहिता के आदेश 6 नियम 17 की अर्जी दी, जिस पर कोर्ट ने विपक्षियों से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान रीना एन सिंह, हरिशंकर जैन, विपक्षी की ओर से अधिवक्ता तसनीम अहमदी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। कुछ वकीलों ने कहा कि उन्हें पहले इस मामले की सुनवाई के बारे में जानकारी नहीं मिली थी।
हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह की संरचना को हटाने और मंदिर की बहाली के लिए 18 दीवानी मुकदमे दाखिल किए हैं। यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष (शाही ईदगाह प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड) कई आधारों पर इस मामले का विरोध कर रहे हैं।