पाकिस्तानी नेहा के जाल में ऐसा फंसा कि कुछ न रहा ख्याल, ISI एजेंट को सूचनाएं देता चला गया रवीन्द्र
- रवीन्द्र कुमार हनी ट्रैप का शिकार हो गया। फेसबुक पर उससे जुड़ी नेहा शर्मा नाम की युवती आईएसआई एजेंट निकली। उसके जाल में फंसकर आरोपित उसे गोपनीय सूचनाएं व्हाट्स ऐप पर भेजता था। ATS ने 13 मार्च को पूछताछ के लिए पकड़ा और मोबाइल कब्जे में ले लिया।

फिरोजाबाद की आर्डीनेंस फैक्टरी में चार्जमैन रवीन्द्र कुमार ने नौ महीने में आईएसआई की महिला एजेन्ट नेहा शर्मा के जरिए कई दस्तावेज और गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान भेजी। इन जानकारियों के लीक होने से देश की सुरक्षा को खतरा बढ़ सकता है। सब कुछ जानते हुए भी नेहा के प्रेम जाल में फंसा रवीन्द्र रुपए कमाने के लिए सब कुछ करता चला गया। उसे न देश का ख्याल रहा, न परिवार, न खुद का। एटीएस के अफसरों की पूछताछ में उसने कई राज उगले। आईएसआई से सम्पर्क सामने आते ही कई और खुफिया एजेन्सी भी सक्रिय हो गई।
एटीएस के एडीजी नीलाब्जा चौधरी के मुताबिक आगरा निवासी रवीन्द्र कुमार ने वर्ष 2006 में कानपुर की आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी शुरू की थी। 2009 से उसकी तैनाती फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में चार्जमैन पद पर थी। उसके खिलाफ जब एटीएस को साक्ष्य मिल गए तो उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया।
एटीएस के मुताबिक रवीन्द्र ने पहले अपने अपराध को नहीं माना। वह हर सवाल पर अफसरों को बरगलाने लगा। कई सवालों के उसने गोलमोल जवाब दिए। बीच में अफसरों ने उससे कहा कि घर जाना चाहो तो जा सकते है, दूसरे दिन फिर आना होगा। उसने कहा कि वह यहीं रुकेगा। जब आप लोग पूछताछ से संतुष्ट हो जाएंगे जब जाएंगे। इसके बाद एटीएस ने कई कॉल डिटेल दिखायी तो वह चौंक गया। जिस नंबर पर गोपनीय जानकारियां जिस चैट में भेजी गई थी, उसमें पाने वाले का नाम चंदन स्टोरकीपर-2 नाम सेव था। जबकि चंदन का असली नंबर एक ही था।
नेहा शर्मा ने जाल में फंसाया
हजरतपुर (टूंडला) स्थित आयुध निर्माणी का चार्जमैन रविंद्र कुमार हनी ट्रैप का शिकार हो गया। फेसबुक पर उससे जुड़ी नेहा शर्मा नाम की युवती आईएसआई एजेंट निकली। उसके जाल में फंसकर आरोपित उसे गोपनीय सूचनाएं व्हाट्स ऐप पर भेजता था। एटीएस ने 13 मार्च को पूछताछ के लिए पकड़ा और मोबाइल कब्जे में ले लिया। साक्ष्य मिलने पर उसे थाना एटीएस लखनऊ में शासकीय गोपनीयता अधिनियम एवं सरकार को डराने की साजिश में मुकदमा लिखा गया है।
आरोपी रवीन्द्र कुमार ने दो दिन ही रिमाण्ड अवधि में एटीएस को कई जानकारियां दी है। इसी दौरान उसके मोबाइल में कई ऐसे नम्बर मिले जिन पर नेहा से बात करने के बाद सम्पर्क किया जाता था। इसमें तीन उसके करीबी कर्मचारी भी है। एटीएस यह भी पता लगा रही है कि कहीं ये कर्मचारी गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध कराने में रवीन्द्र की मदद तो नहीं करते थे।
एफआईआर 13 मार्च को दर्ज कराई थी। एफआईआर में रवीन्द्र के बारे में कई जानकारियां दी गई है। एटीएस ने कोर्ट में पेश करते ही रवीन्द्र कुमार की रिमाण्ड अर्जी भी दी थी। कोर्ट ने दो दिन की रिमाण्ड स्वीकृत की थी। इन दो दिनों में एटीएस को कई महत्वपूर्ण बातें पता चली है। उसके मोबाइल को भी खंगाला गया। साथ ही फोरेंसिक लैब में भी उसके मोबाइल को भेजा गया था। उसकी कॉल डिटेल में कई जरूरी जानकारियां सामने आई। इससे ही पता चला कि रवीन्द्र जब भी पाक एजेन्ट नेहा शर्मा को चैट के जरिए कोई जानकारी भेजता था। उसके तुरन्त पहले अथवा बाद में कुछ लोगों से जरूर बात करता था। इसमें तीन उसके सहयोगी कर्मचारी भी है।
एटीएस जल्दी ही रडार पर आए कर्मचारियों से पूछताछ करेगी। इन कर्मचारियों के बारे में एटीएस ने काफी जानकारियां जुटा ली है। इसके अलावा आरोपी रवीन्द्र कुमार के मोबाइल व नेहा को किए गए चैट के आधार पर पड़ताल चल रही है। यह भी पता किया जा रहा हे कि नेहा के सम्पर्क में और कोई कर्मचारी तो नहीं थे।
खुद को अफसर बताया था
एटीएस की एफआईआर के मुताबिक रवीन्द्र कुमार ने नेहा को अपना परिचय आर्डीनेंस फैक्टरी के अफसर के रूप में दिया था।
जासूसी के आरोप में पहले भी हुई है कार्रवाई
आगरा में जासूसी के आरोप में पहले भी कार्रवाई हो चुकी है। दो आईएसआई एजेंट भी पकड़े जा चुके हैं। पहला आईएसआई एजेंट वर्ष 2004 में पकड़ा गया था। उसके बाद एटीएस ने एक एजेंट अछनेरा से गिरफ्तार किया था। हनी ट्रैप की भी यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी सेना से जुड़ा एक कर्मचारी हनी ट्रैप का शिकार हुआ था। उसका कंप्यूटर जांच के लिए जब्त किया गया था।
पत्नी बोली, पति जासूस नहीं
आगरा के मधुनगर (सदर) निवासी रविंद्र कुमार मध्यम वर्गीय परिवार से है। जासूसी के आरोप में गिरफ्तारी के बाद उसके परिजनों के पैरों तले जमीन सरक गई है। स्थानीय लोग पूरे परिवार को शक की नजर से देख रहे हैं। आस-पास के लोग परिजनों से यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि रविंद्र ने ऐसा क्यों किया। वह किसी युवती से फोन पर बातचीत करता था। परिजन जवाब देते-देते थक गए हैं।
रविंद्र के पिता आर्मी बेस वर्कशॉप 509 में कर्मचारी थे। पत्नी आरती सूरी ने बताया कि एटीएस ने उनका मोबाइल भी चेक किया था। उनके मोबाइल में एटीएस को कुछ नहीं मिला। हनी ट्रैप क्या होता है, उनके पति पर आरोप लगाने वाले पहले यह जानकार आएं। उसे अपने पति की इस तरह की गतिविधि पर कभी शक नहीं हुआ। घर में कभी किसी युवती से वीडियो कॉल पर बात नहीं की। उसने कभी देर रात तक पति को व्हाट्स ऐप पर चैट करते नहीं देखा। यह उनका बुरा समय है, दुर्भाग्य है। पति को अंदाजा ही नहीं रहा होगा कि जिसे वह अपनी दोस्त समझकर बात कर रहे हैं वह पाकिस्तानी जासूस है।
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