मरीजों की जान बचाने वाले डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए नाकाफी सुरक्षा
हाथरस दिन और रात 24 घंटे मरीजों का इलाज कर उनकी जान बचाने वाले चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए अस्पतालों में कोई इंतजाम नहीं है। यहीं वजह है कि सरकारी से लेकर निजी नर्सिंग होम, अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले का खतरा बना रहता है।
हाथरस दिन और रात 24 घंटे मरीजों का इलाज कर उनकी जान बचाने वाले चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए अस्पतालों में कोई इंतजाम नहीं है। यहीं वजह है कि सरकारी से लेकर निजी नर्सिंग होम, अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले का खतरा बना रहता है। खासतौर पर सरकारी अस्पताल में आए दिन चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ मरीज के साथ आने वाले तीमारदार अभद्रता करने के साथ हमला कर देते हैं। शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल व जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुरक्षा के इंतजाम ना काफी हैं। सुरक्षा के नाम पर बागला जिला अस्पताल में पुलिस चौकी भी बनवाई गई है। इसके अलावा ओपीडी, इमरजेंसी में एक-एक सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। लेकिन इसके बाद भी आए दिन यहां तीमारदार और बाहरी लोगों द्वारा चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों से उलझते देखा जा सकता है।
निजी अस्पताल हो या सरकारी सभी जगह चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले होते रहते हैं। बीते कुछ सालों में यह घटनाएं देश में बढ़ी हैं। जिसमें महिला चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ को निशाना बनाया गया है। यहीं वजह है कि चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के सामने हमेशा अपनी सुरक्षा का खतरा बना रहता है। शनिवार को हिन्दुस्तान टीम से बात करते हुए चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ ने अस्पताल व डॉक्टर्स पर होने वाले हमलों पर चिंता जताई। बागला संयुक्त जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष गुप्ता व फिजिशियन डॉ. वरुण चौधरी ने बताया कि पहले से ही चिकित्सकों की कमी है। जिसके चलते चिकित्सकों पर पहले से काम का काफी दबाव बना हुआ है। हर डॉक्टर्स की पहली प्राथमिकता होती है वह मरीज को बेहतर इलाज कर उसकी जान की रक्षा करें। लेकिन इमरजेंसी से लेकर ओपीडी में भीड़ का भारी दबाव रहता है। इसी भीड़ में शामिल कुछ लोग चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए खतरा बने रहे हैं। ऐसे लोग बिना किसी बात के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के काम में खल्ल डालते हैं और अभद्रता करते हैं। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. केके शर्मा और फिजिशियन डॉ. अवधेश ने बताया कि चिकित्सक व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ इरमजेंसी से लेकर ओपीडी और वार्ड में पूरी मेहनत और लगने के साथ मरीजों की सेवा करते हैं। लेकिन कई बार मरीज के साथ आने वाले तीमारदार चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ उलझ जाते हैं। खासतौर पर इमरजेंसी में ऐसी घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होनी चाहिए। सर्जन डॉ. गोपाल वर्मा बताते हैं देश में लगातार चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों और अस्पतालों पर हमले के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन कई बार रात में देखने में आता है कि इमरजेंसी में मरीजों के साथ काफी संख्या में तीमारदारों की भीड़ आ जाती है। भीड़ की वजह से मरीजों का इलाज करने में दिक्कत होती है। जब स्टाफ द्वारा तीमादारों से जाने के लिए कहा जाता है तो वह स्टाफ से गली-गलौज और अभद्रता करते हैं। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी में बढ़ाई जानी चाहिए। महिला स्टाफ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए। महिला स्टाफ सुरक्षित रहे। उनके साथ किसी भी प्रकार की कोई अभद्रता न हो।
ओपीडी में लगभग 1500 व इमरजेंसी 100 मरीज पहुंचते हैं
शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल में शहर, जिले के मुरसान, सासनी, हाथरस जंक्शन, मैंडू, चंदपा, लाढ़पुर, ऐंहन आदि गांव-देहात क्षेत्र के मरीज पहुंचते हैं। प्रतिदिन ओपीडी में लगभग 1500 तो इमरजेंसी में 100 मरीज पहुंचते हैं। इमरजेंसी पहुंचने वाले मरीजों में गंभीर बीमारी से पीड़ित के अलावा सड़क दुर्घटना व अन्य हादसों में घायल होने वाले मरीज पहुंचते हैं। पहले से ही कम जगह में इमरजेंसी का संचालन हो रहा है। जिसके चलते हमेशा इरमजेंसी मरीजों और तीमारदारों से भरी रहती है। अगर ऐसे में यहां किसी बड़े हादसे के बाद घायल पहुंचते हैं तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाती है।
पूर्व में कई बार हो चुके हैं हमले
जिला अस्पताल की ओपीडी से लेकर इमरजेंसी से मरीज और तीमारदारों द्वारा किए जाने वाले हंगामे की खबर आए दिन सामने आती रहती है। ओपीडी में चिकित्सक के कक्ष के बाहर, दवा और पर्चा काउंटर पर मरीज को जल्द ही दिखाने के चक्कर में उनके साथ आने वाले तीमारदार हंगामा कर देते हैं। जब स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उन्हें समझाने-बुझाने का प्रयास किया जाता है तो यह लोग उनसे भी उलझ जाते हैं। ऐसा ही कुछ हाल इमरजेंसी में देखने को मिलता है। जहां तीमारदार चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ को अपने मरीज को पहले दिखाने का दबाव डालते हैं। इसी बात को लेकर यह तीमारदार यहां हंगामा कर देते हैं।
बवाल के बाद बनी जिला अस्पताल में पुलिस चौकी
दो साल पहले शहर के बागला संयुक्त और जिला अस्पताल में एक स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकत्री में मामूली बात को लेकर विवाद हो गया था। इस मामूली विवाद ने अस्पताल में बड़ा बवाल करा दिया था। एक सामाजिक संगठन आशा कार्यकत्री के समर्थन में उतर आया था। इस संगठन के पदाधिकारियों ने अधिकारियों को घेर कर उनसे अभद्रता की थी। अस्पताल में परिसर में जुलूस निकाल कर धरना दिया था। आशा वर्कर्स ने शहर के ओवरब्रिज पर भी जाम लगाकर प्रदर्शन किया। बवाल इस कदर बढ़ गया था कि प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ता था। इस मामले में सामाजिक संगठन के प्रमुख सहित कई लोगों को हिरासत में लेकर जेल भेजा था। इसे बवाल के बाद चिकित्सकों स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अस्पताल में पुलिस चौकी बनवाए जाने की मांग की थी। तब कहीं जाकर अस्पताल में पुलिस चौकी बन सकी।
पहले निजी व अब सरकारी सुरक्षा गार्ड तैनात
शहर के बागला संयुक्त जिला व जिला महिला अस्पताल में होने वाले हंगामे और अस्पताल में आने वाले मरीजों की बाइक व अन्य सामान चोरी होने की वारदात बढ़ने पर अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने मांग लगातार उठती रही है। इसके लिए पहले इमरजेंसी, ओपीडी, वार्ड व अन्य स्थानों पर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए थे। यह सभी गार्ड एक निजी सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से लगे थे। लेकिन कुछ महीने पहले इन्हें हटा दिया गया था। अब इनके स्थान पर उत्तर प्रदेश सैनिक कल्याण निगम के माध्यम से गार्ड तैनात किए गए हैं। इमरजेंसी, ओपीडी, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कक्ष और सीएमएस कार्यालय के बाहर एक-एक गार्ड हर समय तैनात रहता है।
अस्पताल के चप्पे-चप्पे पर तीसरी आंख का पहरा
इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक आए दिन होने वाले हंगामे और बाइक चोरी सहित अन्य आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किए जाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अस्पताल के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं। इमरजेंसी, ओपीडी, दवा काउंटर, पर्चा काउंटर, पैथोलॉजी लैब, एक्सरे कक्ष, सीटी स्कैन कक्ष सहित अन्य स्थानों पर लगभग 60 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इससे हर एक्टिवटी पर नजर रखी जा सकें।
फैक्ट फाइल
1500 लगभग मरीज बागला जिला अस्पताल की ओपीडी में पहुंचते हैं।
100 लगभग मरीज बागला जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आते हैं।
25 चिकित्सकों के सापेक्ष मात्र 12 डॉक्टर्स जिला अस्पताल में तैनात।
10 फार्मासिस्ट बागला जिला अस्पताल में तैनात।
19 स्टाफ नर्स बागला जिला अस्पताल में तैनात।
शिकायत
मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार हंगामा और अभद्रता करते हैं।
रात के समय में इमरजेंसी में तीमारदार बनकर बाहरी लोग पहुंच जाते हैं।
पुलिस चौकी महिला पुलिसकर्मी नहीं तैनात।
महिला चिकित्सक व महिला स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए नहीं कोई व्यवस्था।
अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर नहीं महिला सुरक्षा कर्मी।
अस्पताल परिसर के चारों ओर बाउंड्री वॉल नहीं है।
सुझाव:
इमरजेंसी में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों की संख्या निर्धारित की जाए।
इमरजेंसी में तीमारदार बनकर आने वाले बाहरी लोगों रोकने के लिए कदम उठाया जाए।
पुलिस को चौकी को थाना बनाया जाए। 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात रहने चाहिए।
इमरजेंसी, वार्ड और ओपीडी में महिला सुरक्षा कर्मियों को भी तैनात किया जाए।
अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर महिला सुरक्षा कर्मी की तैनाती की जानी चाहिए।
अस्पताल के चारों ओर बाउंड्री वॉल का निर्माण कराया जाना चाहिए।
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