परिजनों से प्रेम व्यवहार जीवन की पूंजी
श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य अरविंद किशोर शरण ने प्रेम और मित्रता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा अपने परिवार और बुजुर्गों का सम्मान किया। भक्तों ने 56 भोग...
राठ। श्री मेला जल विहार मंच पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन आचार्य अरविंद किशोर शरण ने श्रोताओं को बताया कि बृजवासी ग्वालों ने प्रेम और मित्रता के वशीभूत करके स्वयं भगवान के साथ माखन चोरी, गौचारण, कालिया मर्दन आदि लीला की है। कथा के दौरान कहा कि अपने परिवार और परिजनों के साथ हमेशा प्रेम व्यवहार बनाए रखना ही हमारे जीवन की पूंजी है। योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण स्वयं त्रिलोकीनाथ होने पर भी उन्होंने हमेशा माता-पिता, मित्र तथा बुजुर्गों का सम्मान और सहायता की। कथा के दौरान भक्तों ने 56 भोग के दर्शन एवं प्रसाद पाया। कथा में समिति के अध्यक्ष केजी अग्रवाल, प्रमोद सोनी, पंकज सोनी, डॉ. रामगोपाल गुप्ता, रमेश चंद्र, प्रदीप गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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