Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Hajibeda village of UP sambal where every house has an officer occupies big positions like commissioner judge brigadier

यूपी का एक गांव जहां हर घर में अफसर; कमिश्नर, जज, ब्रिगेडियर, लेफ्टिनेंट जैसे बड़े पदों पर आसीन

  • यूपी के संभल जनपद के छोटे से गांव हाजीबेड़ा गांव जहां हर घर में अफसर निकल रहे हैं। इस गांव शिक्षा, अनुशासन और मेहनत की बदौलत पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई है। इस छोटे से गांव ने 50 से अधिक अधिकारी देश को दिए हैं।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, संभल। गजेंद्र यादवWed, 5 Feb 2025 10:00 AM
share Share
Follow Us on
यूपी का एक गांव जहां हर घर में अफसर; कमिश्नर, जज, ब्रिगेडियर, लेफ्टिनेंट जैसे बड़े पदों पर आसीन

यूपी के एक गांव, जहां हर घर से अफसर निकल रहे हैं। एक गांव, जिसने संसाधनों की कमी को कभी सफलता की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। यह कहानी है संभल जनपद के छोटे से गांव हाजीबेड़ा की। जिसने शिक्षा, अनुशासन और मेहनत की बदौलत पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई है। हालांकि, इस गांव की आबादी 1000 से भी कम है और स्थायी रूप से यहां 500 से भी कम लोग रहते हैं, लेकिन इस छोटे से गांव ने 50 से अधिक अधिकारी देश को दिए हैं। इनमें असिस्टेंट कमिश्नर, जज, ब्रिगेडियर, लेफ्टिनेंट, कमांडेंट, डीएसपी, इंजीनियर, डॉक्टर और प्रोफेसर जैसे उच्च पदों पर आसीन लोग शामिल हैं। सेना, एयरफोर्स, वन विभाग, उच्च शिक्षा, खेल और अन्य सरकारी संस्थानों में भी इस गांव के युवाओं ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से मुकाम हासिल किया है।

इस गांव के युवाओं की देशभक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण हैं महेंद्र सिंह चाहल। जिन्होंने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ऑपरेशन ग्रीन हंट के दौरान 6 अप्रैल 2010 को अपने प्राण न्योछावर कर दिए। गोलियों की बौछार के बीच उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक वीरता का परिचय दिया। उनकी शहादत न केवल गांव, बल्कि पूरे जिले और प्रदेश के लिए गर्व का विषय बन गई। गांव गुल्लु सिंह समेत अन्य लोग बताते हैं कि महेंद्र सिंह की बहादुरी से प्रेरणा लेकर कई युवा सेना, पुलिस, पीएसी और अन्य विभागों में सेवाएं दे रहे हैं।

हाजीबेड़ा के अधिकारी व कर्मचारियों की सूची

शिखा चाहल-जज, संजय सिंह- प्रोफेसर, सनी देओल और दीपांशु चाहल लेफ्टिनेंट, धर्मेंद्र चाहल-इंस्पेक्टर दिल्ली पुलिस, दिव्यांश चाहल- कैप्टन आर्मी राजस्थान, व्यवहार सिंह चाहल- सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट, डॉ. एसपी सिंह और डॉ अजय पैसल- एमबीबीएस एमडी, डॉ. विशाल पैसल - एमबीबीएस एमडी, लंदन, ईशान पैसल- इंजीनियर यूएसए।

गांव छोड़ने के बाद भी नहीं टूटा नाता

गांव के कई लोग सरकारी पदों पर कार्यरत होने के कारण अन्य जिलों और राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं लेकिन गांव से उनका नाता आज भी जुड़ा हुआ है। शादी-समारोह और त्योहारों पर वे गांव लौटते हैं और यहां के बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। गांव ने साबित कर दिया कि संसाधनों की कमी कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।

ये भी पढ़ें:संभल में एक बार फिर प्रशासन की कार्रवाई, सरकारी तालाब पर बने अवैध मजार को हटवाया

गांव की सफलता का राज, शिक्षा और अनुशासन

हाजीबेड़ा गांव की सबसे बड़ी ताकत है यहां की शिक्षा व्यवस्था और अनुशासन। दशकों पहले ही यहां के बुजुर्गों ने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की पहल की थी, जो आज गांव को सफलता की बुलंदियों तक ले आई है। यहां के युवा सरकारी नौकरियों में जाने के लिए पूरी मेहनत और जुनून के साथ तैयारी करते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि यहां हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अधिकारी बने।

यह हो चुके हैं सेवानिवृत्त

दयानंद सिंह-दिल्ली पीसीएस असिस्टेंट कमिश्नर, अनुराग सिंह-आईएफएस महाराष्ट्र, यशपाल सिंह, कृपाल सिंह और हरपाल सिंह-डीएसपी, योगेंद्र सिंह-बिग्रेडियर, मेवाराम सिंह-कैप्टन, ब्रजपाल सिंह- एक्सईएन नलकूप विभाग, नीरज चाहल और बिजेंद्र सिंह- आर्मी, बुद्धि सिंह-सीआईएसएफ।

अगला लेखऐप पर पढ़ें