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एनईआर के अफसर पर गिरी गाज, मिली अनिवार्य सेवानिवृति

Gorakhpur News - ड़ी कार्रवाई -2015 में घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने दर्ज ने किया था केस -2014 से 2016 तक सीपीआरओड़ी कार्रवाई -2015 में घूस लेने के आरोप में सीबीआई न

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 21 Feb 2025 04:31 AM
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एनईआर के अफसर पर गिरी गाज, मिली अनिवार्य सेवानिवृति

गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। घूसखोरी में फंसे पूर्वोत्तर रेलवे में तैनात 2000 बैच के आईआरटीएस (इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विसेस) अधिकारी आलोक सिंह को रेलवे बोर्ड ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। आलोक सिंह गोरखपुर में मुख्य यात्री परिवहन प्रबंधक (सीपीटीएम) के पद पर तैनात थे। आलोक सिंह की उम्र 50 साल पूरी होते ही रेलवे ने यह कार्रवाई की है। रेलवे में अनिवार्य सेवानिवृत्ति (धारा 56 जे के तहत कार्रवाई) के लिए 50 साल की न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित है।

बुधवार की शाम बोर्ड से आदेश के बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया। इसके बाद रेलवे के एकाउंट और पर्सनल विभाग ने सेटलमेंट तैयार कर उन्हें कार्य मुक्त कर दिया। अब जल्द ही इस पद पर किसी नए अफसर को तैनाती दी जाएगी। यह फैसला रेलवे में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। 2015 में सीपीआरओ रहते हुए उन पर एक विज्ञापन एजेंसी से घूस लेने का आरोप लगा था। उसी आरोप को आधार बना सीबीआई ने केस दर्ज किया था।

ऐसे खुला भ्रष्टाचार का मामला

लखनऊ के हजरतगंज स्थित विज्ञापन एजेंसी के संचालक एसएस तिवारी ने जून 2024 में एनईआर के जीएम और विजिलेंस विभाग को पत्र लिखकर आलोक सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अफसर ने 2015 में सीपीआरओ रहते हुए रिश्वत ली थी। जब कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई, तो एसएस तिवारी ने भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेज प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिए। इसके बाद मामला फिर से खुला और अफसर के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तेज हो गई। दस्तावेजों की पड़ताल कर सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। अंततः रेलवे बोर्ड ने आलोक सिंह की उम्र 50 वर्ष होते ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त करने का फैसला लिया।

अफसर को अनिवार्य सेवानिवृत्त किए जाने का दूसरा मामला

आलोक सिंह पूर्वोत्तर रेलवे के दूसरे सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (एसएजी) के अधिकारी हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है। इससे पहले मनोज कुमार सिंह को भी इसी तरह से हटाया गया था। वह भी आईआरटीएस अधिकारी थे और पूर्व में सीपीआरओ रह चुके थे। उन पर लखनऊ में सीनियर डीसीएम रहते हुए स्टेशन के आय का पैसा अपने पास रख लेने का आरोप लगा था।

2000 बैच के अफसर थे आलोक सिंह

देवरिया जिले के रहने वाले आलोक सिंह 2000 बैच के भारतीय रेल यातायात सेवा के अधिकारी थे। उनकी पहली नियुक्ति 2001 में गोरखपुर में सहायक वाणिज्य प्रबंधक (टिकट जांच) के रूप में हुई थी। इसके बाद उन्होंने लखनऊ, गोरखपुर, इज्जतनगर सहित कई जगहों पर महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

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