मनुष्य का अपने चित का नियंत्रण ही योग
Gorakhpur News - गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के आयुर्वेद कॉलेज में अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. एच नारायण ने अष्टांग योग के सिद्धांतों पर चर्चा की। उन्होंने आयुर्वेद और स्वास्थ्य के...
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गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में संहिता सिद्धांत एवं संस्कृत विभाग की तरफ से शनिवार को अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता आईटीएम आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एच नारायण रहे। उन्होंने अष्टांग योग पर विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. नारायण ने कहा कि जो निरंतर गतिमान, चेतना युक्त, शरीर, इन्द्रिय, मन व आत्मा से संयुक्त है, उसे आयु कहते हैं। ऐसा चरक, सुश्रुत आदि ऋषियों ने बताया है। सभी दोष, अग्नि, धातु और मल और क्रियाएं, संतुलित अवस्था में हों और मन, इन्द्रिय और आत्मा प्रसन्न हो तो ऐसा व्यक्ति स्वस्थ कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अपने चित्त अर्थात मन का नियंत्रण ही योग है। योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं। अपने को नियंत्रित रखना ही यम कहलाता है।
उन्होंने कहा कि हिंसा न करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य धारण करना, कायिक, मानसिक, वाचिक कोई भी पाप न करना ही यम के अन्तर्गत आता है। मन चाकर है और आत्मा स्वामी। इसलिए अपने को हमेशा अपने नियंत्रण में रखकर जो सम्यक आहार विहार ग्रहण करता है, वो स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का प्रयोजन ही स्वस्थ को स्वस्थ रखना और रोगी को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कराना है। कार्यक्रम में डॉ शान्तिभूषण और आचार्य साध्वी नन्दन ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह व ग्रंथ भेंटकर सम्मानित किया। आभार ज्ञापन डॉ मिनी केवी ने किया। इस अवसर पर डॉ सुमित, डॉ दीपू मनोहर, डॉ. देवी उपस्थित रहे।
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