प्रौद्योगिकी से बच्चों और बुजुर्गों के सेवन योग्य बनती हैं दवाएं
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के पंद्रह दिवसीय दीक्षारंभ समारोह बुधवार को जारी रहा। बुधवार को इसका आठवां दिन रहा।
बुधवार को आयुर्वेद में उन्नत दवा प्रौद्योगिकी : एक सरल अवलोकन विषय पर व्याख्यान देते हुए विश्वविद्यालय के फार्मेसी संकाय के प्राचार्य डॉ. शशिकांत सिंह ने कहा कि आधुनिक दवा प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम दवा को बच्चों और वृद्धों के लिए ग्रहण करने योग्य बना सकते हैं। इसके लिए विभिन्न तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।
डॉ. शशिकांत ने कहा कि आज नैनो फार्मूलेशन में हल्दी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के छोटे आकार के (करक्यूमिन) स्वरूप को विकसित किया गया है। नैनो फार्मूलेशन शरीर को दवाओं को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करते हैं और उपचार को अधिक प्रभावी बनाते हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक उपकरणों के द्वारा हम सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक आयुर्वेदिक दवा में सक्रिय तत्वों की सही मात्रा हो, जिससे वे अधिक विश्वसनीय बन जाए। डॉ. सिंह ने उन बॉयोटेक विधियों की विस्तार से जानकारी दी जिससे आयुर्वेदिक औषधियां हितकारी और चिकित्सीय प्रयोग के लिए बनती हैं।
गोरखनाथ विश्वविद्यालय में संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि पादप विज्ञान और इंजीनियरिंग के द्वारा हम पौधों से एंटीबॉडी, हार्मोन, एंजाइम आदि प्राप्त करते हैं। ये विभिन्न रोगों के उपचारों में प्रयोग लाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि बीएएमएस छात्रों के शोध कार्यों के लिए अपार संभावनाएं हैं। सुश्रुत आदि संहिताओं में बताए औषधियों पर शोध कर आधुनिक तकनिकों से प्रमाणिक और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रांजल व आभार ज्ञापन डॉ. गोपीकृष्ण ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डा. गिरिधर वेदांतम, डॉ. साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ. शान्तिभूषण, डॉ. दीपू मनोहर, डॉ. देवी, डॉ. विनम्र शर्मा, डॉ. प्रिया समेत कई शिक्षक और बीएएमएस के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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