मांडा में भी टीला ढहने से हो सकता है सिराथू जैसा हादसा
Gangapar News - यदि प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो मांडा में भी सिराथू जैसी बड़ी घटना हो सकती है। महिलाएं और बच्चे अक्सर टीले के नीचे मिट्टी खोदते हैं, जिससे ढहने का खतरा बढ़ गया है। 1987 में भी ऐसी ही...

मांडा, हिन्दुस्तान संवाद। समय रहते यदि प्रशासन ने ध्यान न दिया, तो मांडा में भी सिराथू की तरह टीला धंसने से बड़ी घटना हो सकती है। छोटे बच्चे व महिलाएं अक्सर विभिन्न टीलों के नीचे मिट्टी की खोदाई करते देखे जाते हैं। यदि टीला ढहा, तो मांडा में भी दर्जनों जानें जा सकती हैं।
मांडा क्षेत्र के खास मांडा ग्राम पंचायत के मांडा राजमहल से संबंधित अमृत सरोवर मलिहा तालाब लगभग 25 बीघे में फैला हुआ है। इस तालाब के तीन ओर से काफी ऊंचा भीटा बना हुआ है। मांडा दलित बस्ती की ओर बने टीले के नीचे कच्चे घर की पोताई व अन्य कार्यों के लिए लोग टीले की मिट्टी खोदकर अपने घर ले जाते हैं। तमाम महिलाएं व बच्चे इस टीले के नीचे अक्सर मिट्टी खोदाई करते दिखाई पड़ते हैं। कुछ बच्चे गर्मी के मौसम में खोदे गये टीले के नीचे जमीन नम होने के कारण भी दोपहर में खोदाई करने वालों के साथ बैठे रहते हैं। इसी तरह की खोदाई के चलते वर्ष 1987 में बरसात के मौसम में तालाब का भीटा दलित बस्ती की ओर टूट गया था, जिससे बाढ़ के चलते बस्ती के तमाम मकान गिर गये थे और तहसील प्रशासन को 132 लोगों को अहैतुक सहायता की धनराशि देनी पड़ी थी। यदि समय रहते टीले की खोदाई पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो सिराथू जैसी बड़ी घटना मांडा में भी घटित हो सकती है। मांडा खास के अलावा राजापुर, कूदर आदि गांवों में टीला ओर भीटा खोदाई का काम होता है।
साथ में कौशाम्बी का फॉलोअप
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।