भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भी होगी दवाओं की फास्ट डिलीवरी, MNNIT के छात्रों ने बनाया ऑटोनॉमस ड्रोन
- एमएनएनआईटी छात्रों ने ऑटोनॉमस ड्रोन बनाया है। इसका वजन दो किलो है और यह 500 ग्राम वजन लेकर तीन किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी एक और खास बात यह है कि इसे उड़ाने के लिए किसी कंट्रोलर की जरूरत नहीं पड़ती है।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) से बीटेक कर रहे छात्रों ने ‘ऑटोनॉमस ड्रोन’ बनाया है। इसका वजन दो किलो है और यह 500 ग्राम वजन लेकर तीन किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी एक और खास बात यह है कि इसे उड़ाने के लिए किसी कंट्रोलर की जरूरत नहीं पड़ती है। ड्रोन में लगे खास प्रकार के सॉफ्टवेयर से यह जीपीएस के जरिए बताए गए स्थान पर पहुंच जाता है। भार उठाने की क्षमता सिर्फ 500 ग्राम होने के कारण फिलहाल इसका उपयोग दवा, मरहम-पट्टी जैसे हल्के सामान को एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाने में हो सकता है।
संस्थान में चल रहे छह दिनी तकनीकी उत्सव कलरव-अविष्कार में इस ड्रोन को प्रदर्शित किया गया है। इसे तैयार करने वाले बीटेक के छात्र आयुष ने बताया कि इस ड्रोन के लिए सबसे पहले आटोकैड, कैटिया तथा एनसीस के माध्यम से एक खास प्रकार का सॉफ्टवेयर डिजाइन किया गया। उसके बाद इस ड्रोन के बाहरी डिज़ाइन पर काम किया गया। इस ड्रोन मे चार तरह के प्रोपेलर लगाए गए हैं, जिसमें दो प्रोपेलर आगे और दो पीछे की तरफ लगे हैं। इसके साथ ही इसमें चार ब्रशलेस मोटर लगी है जो प्रोपेलर को घुमाने का काम करती है और उसकी स्पीड को बढ़ाती है। इस ड्रोन को जीपीस के माध्यम से कंट्रोल किया जाता है। ड्रोन की लंबाई और चौड़ाई 30 सेमी है।
इलेक्ट्रानिक्स ब्रांच के बीटेक छात्र आयुष ने बताया कि संस्थान के डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. आनंद शर्मा के नेतृत्व में कड़ी मशक्त में यह ड्रोन तैयार किया गया है। इस ड्रोन के माध्यम से मेडिकल इक्विपमेंट जैसे सेनेटाइजर की बोतल, मास्क और इमरजेंसी दवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। ड्रोन बनाने के लिए संस्थान के पुराछात्रों ने आर्थिक सहायता दी थी। अभी इसमें और काम होना है। अगले चरण में खराब मौसम में बगैर किसी वस्तु से टकराए, इसे उड़ाने पर काम किया जा रहा है।