यूपी उपचुनाव: खैर सीट पर भाजपा हैट्रिक तो सपा खाता खोलने की जुगत में जुटी, जानिए सियासी समीकरण
जाट लैंड कही जाने वाली खैर सीट पर आजादी के बाद से ही जाट चेहरों का जलवा रहा है। इस बार होने वाले उपचुनाव में भाजपा हैट्रिक की तैयारी में जुटी है तो उधर, सपा-कांग्रेस का गठबंधन खाता खोलने की जुगत में लगा है। बसपा भी मैदान में ताल ठोंक रही है।
जिसके हुए जाट, उसके होंगे ठाठ। खैर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण का मिजाज कुछ ऐसा ही है। जाट लैंड कही जाने वाली इस सीट पर आजादी के बाद से ही जाट चेहरों का जलवा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती भी इस सीट पर जीत दर्ज करा चुकी हैं। हालांकि 2008 में परिसीमन बदलने के बाद यह सीट सुरक्षित हो गई। 2017 और 2022 में भाजपा यहां जीत चुकी है। 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में भाजपा हैट्रिक की तैयारी में जुटी है तो उधर, सपा-कांग्रेस का गठबंधन खाता खोलने की जुगत में लगा है। बसपा भी मैदान में ताल ठोंक रही है।
खैर विधानसभा सीट पर 4 लाख 4 हजार मतदाता हैं। जाटों की सियासत करने वाला रालोद फिलहाल भाजपा के साथ है। हालांकि 2022 में सपा के साथ रहते हुए वह खास असर नहीं छोड़ पाया था और लोकसभा चुनाव में उसका साथ मिलने के बाद भी भाजपा यहां मामूली वोटों से पिछड़ गई थी। ऐसे में जाट समुदाय को साधने के लिए सभी नेता और पार्टियां रणनीतियां बना रही हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ यहां दो बार जनसभा कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को लेकर जो नाराजगी थी वह इस बार नजर नहीं आ रही है। सपा-कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में हैं।
सभी दलों ने में झोंकी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत
खैर सीट पर भाजपा, सपा, बसपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष चौ. भूपेन्द्र सिंह जनसभा व सम्मेलन कर चुके हैं। वहीं सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्यामपाल भी नुक्कड़ सभाएं करने आ चुके हैं। बसपा के पदाधिकारी के रूप में पूर्व सांसद मुनकाद अली व अन्य नेता प्रचार में जुटे हुए हैं।
भाजपा से तीसरी पीढ़ी, सपा-कांग्रेस गठबंधन से सियासी परिवार की बहू तो बसपा से नया चेहरा
खैर विधानसभा सीट पर तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अलग-अलग विशेषता के साथ प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। भाजपा ने युवा प्रत्याशी सुरेन्द्र दिलेर पर दांव लगाया है। वह जनसंघ व भाजपा की राजनीति से जुड़े रहे दिलेर परिवार से हैं। इनके बाबा स्व. किशनलाल दिलेर 11 बार सांसद व विधायक रहे और पिता स्व.राजवीर दिलेर भी विधायक व सांसद रह चुके हैं। सपा ने क्षेत्रीय मुद्दों व जाट समुदाय को ध्यान में रखते हुए चारू कैन को प्रत्याशी बनाया है। वह खुद जाटव है। लेकिन उनके पति जाट व ससुर तेजवीर सिंह गुड्डू पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। वहीं बसपा ने नए चेहरे के रूप में डॉ. पहल को उम्मीदवार बनाया है।
सपा प्रत्याशी की जाटों को साधने की रणनीति
इस सीट पर सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भी जाटों को साधने के लिए रणनीति बनाई है। सपा प्रत्याशी चारू कैन के पति खुद जाट समुदाय से हैं। उनके ससुर तेजवीर सिंह गुड्डू पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। ऐसे में जाट-दलित-मुस्लिम समीकरण के ठोस आधार के साथ पीडीए के फार्मूले पर भी पार्टी काम कर रही है। कांग्रेस भी साथ है।
सपा-बसपा में मुस्लिम वोटरों का हो सकता है बिखराव..
खैर विधानसभा सीट पर करीब 35 हजार मुस्लिम वोटर हैं। जिस पर सपा-बसपा अपना-अपना दावा पेश करती रही हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटों का बिखराव भाजपा के लिए ही मुफीद रहेगा।
आजादी के बाद से रहा जाट चेहरों का जलवा...
आजादी के बाद से ही इस सीट पर जाट उम्मीदवारों का जलवा रहा है। 1967, 1974 और 1980 में कांग्रेस यहां से जीती। 1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल ने बाजी मारी। रामलहर में 1991 में पहली बार यहां भाजपा का खाता खुला जब चौधरी महेंद्र सिंह को जीत मिली। 1993 में सीट जनता दल के पास चली गई। 1996 में भाजपा से पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती ने जीत दर्ज की। जाट प्रत्याशियों की जीत पर ब्रेक 2002 में बसपा ने ब्राह्मण-दलित समीकरण से लगाया और प्रमोद गौड़ जीते। हालांकि, 2007 में रालोद ने यह सीट अपने खाते में डाल ली। 2008 के परिसीमन के बाद खैर सीट सुरक्षित हो गई, लेकिन 2012 के चुनाव में भी रालोद की जीत कायम रही। इस चुनाव में महज तीसरे नंबर पर रहे अनूप प्रधान ने आखिरकार 2017 में कमल खिला दिया।
क्षेत्र में लोगों से जुड़े कई बड़े मुद्दे
किसानों से जुड़ी समस्याएं, ग्रामीण विकास, बिजली, बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य, खैर-जट्टारी बाईपास, यमुना एक्सप्रेस वे के सहारे की भूमि का अधिग्रहण और भूमि हस्तांतरण का विरोध।
खैर के महारथी
खैर विधानसभा क्षेत्र से अनूप प्रधान ही महारथी के रूप में निकले हैं। वर्तमान में वह हाथरस से सांसद है। पहली बार वर्ष 2017 में फिर 2022 में विधायक बने। दूसरी बार विधायक बनने पर प्रदेश सरकार में राजस्व राज्यमंत्री बनाए गए थे।
पहल सिंह, बसपा प्रत्याशी
उम्र- 65
शिक्षा- बीएससी, बीएएमएस, एलएलबी
कुल चल-अचल सम्पत्ति-एक करोड़ 67 लाख 57 हजार
राजनीति-बसपा में विभिन्न पदों पर रहे, चुनाव नहीं लड़ा
चारू कैन, सपा प्रत्याशी
उम्र- 27
शिक्षा- इंटरमीडिएट
कुल चल-अचल सम्पत्ति-एक करोड़ 98 लाख 05 हजार 714 रुपये।
राजनीति- 2022 विधानसभा चुनाव खैर से लड़ी, लेकिन हारीं
सुरेन्द्र दिलेर, भाजपा उम्मीदवार
उम्र- 31
शिक्षा- इंटरमीडिएट
कुल चल-अचल सम्पत्ति- 53 लाख 64 हजार 082 रुपये
राजनीति-पहली बार चुनाव लड़ रहे, पिता और बाबा राजनीति में रहे