दो बार कहने के बाद भी मंत्री ने नहीं रोकी थी DPC की कार्यवाही, पल्लवी और आशीष की लड़ाई में कूदे पूर्व ओएसडी
- प्राविधिक शिक्षा विभाग में गलत ढंग से डीपीसी कर एचओडी बनाए जाने का आरोप लगाने वाली सिराथू विधायक अद (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने रविवार को मंत्री आशीष पटेल के पूर्व ओएसडी आरबी सिंह पटेल को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया।
प्राविधिक शिक्षा विभाग में गलत ढंग से डीपीसी कर एचओडी बनाए जाने का आरोप लगाने वाली सिराथू विधायक अद (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने रविवार को मंत्री आशीष पटेल के पूर्व ओएसडी आरबी सिंह पटेल को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया। वहीं उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा सेवा संघ भी सामने आ गया है।
मंत्री के पूर्व ओएसडी राज बहादुर सिंह पटेल ने आरोप लगाया कि उन्होंने मंत्री से दो बार डीपीसी की कार्यवाही रोकने को कहा था, पर उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने 31 मई 2024 को ओएसडी पद से इस्तीफा दे दिया। एक जनवरी को उन्हें कारण बताओ नोटिस देते हुए तत्काल प्रभाव से पॉलीटेक्निक कालेज चमरूआ रामपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। इस डीपीसी के संबंध में एआईसीटीई दिल्ली, प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा, प्रमुख सचिव न्याय, प्रमुख सचिव वित्त आदि को पत्र लिखा था।
दी जा रही हैं धमकियां: पल्लवी
दारुलशफा में मीडिया से बातचीत में पल्लवी पटेल ने कहा कि आरबी सिंह पटेल और उनके परिवार को चुप रहने की धमकियां दी जा रही हैं। बोलीं-यदि आरबी सिंह को प्रताड़ित किया गया तो पटेल समाज सड़कों पर उतरेगा। हम शांत नहीं बैठेंगे।
एआईसीटीई की नई नियमावली के तहत है डीपीसी
शाम को उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा सेवा संघ ने बयान जारी कर कहा कि 30 मई 2024 को हुई डीपीसी नियमों के तहत हुई है। एआईसीटीई की नई नियमावली लागू होने से तीन साल के अंदर यह डीपीसी हुई है। नई नियमावली में यह व्यवस्था दी गई है कि नियमावली लागू होने के बाद तीन साल के अंदर पदोन्नति का एक विकल्प दिया जा सकता है। आरबी सिंह पटेल जो इसे गलत बता रहे हैं वह खुद दो बार पुरानी नियमावली का लाभ लेते हुए प्रधानाचार्य के पद पर पहुंचे हैं।
आशीष पटेल ने पल्लवी को घेरा
मंत्री आशीष पटेल ने पल्लवी पटेल को बिना नाम लिए प्रायोजित धरना मास्टर कहा। उनका आरोप है कि ओएसडी राजग प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल को हराने के लिए षड़यंत्र करने वालों के संपर्क में थे। ऐसे में इनको ओएसडी पद से हटाने के अलावा क्या विकल्प था? षड़यंत्र का यह जाल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले से बुना जा रहा था।