बहराइच में सैयद गाजी की दरगाह पर उर्स का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट, सरकार को नोटिस, 14 को सुनवाई
बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स की जिलाधिकारी द्वारा अनुमति न देने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पहुंच गया है। हालांकि हाईकोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है और सरकार को नोटिस जारी करते हुए अगली तारीख 14 मई निर्धारित की है।

बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स की जिलाधिकारी द्वारा अनुमति न देने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में दाखिल याचिका पर सुनवायी करते हुए, राज्य सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। हालांकि न्यायालय ने जिलाधिकारी द्वारा अनुमति न देने संबंधी आदेश में तत्काल हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। मामले की अगली सुनवायी 14 मई को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने दलील दी कि यह दरगाह 1375 ई0 में फिरोज शाह तुगलक ने सैयद सालार मसूद गाजी की याद में बनवाया था, यहां पर लंबे समय से हर साल जेठ के महीने में एक माह का उर्स चलता है जिसमें देश-विदेश से 4-5 लाख लोग आते हैं। कहा गया कि इस बार उर्स 15 मई से शुरू हेाना है लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस बार उर्स की इजाजत देने से इंकार कर दिया है।
याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उर्स करीब पांच किलोमीटर के दायरे में लगता है, जिलाधिकारी ने जो आदेश दिया है, वह एलआईयू व अन्य सम्बंधित विभागों की रिपेार्ट के आधार पर दिया है। कहा गया कि दरगाह के भीतर के किसी भी कार्यक्रम पर कोई रोक नहीं है। इस पर याची के अधिवक्ता का कहना था कि दरगाह के आसपास का डेढ़ वर्ग किलोमीटर की जमीन दरगाह की है।
इस पर न्यायालय ने सम्बंधित जमीन का कागजात मांगा जिसे दिखाने के लिए याची की ओर से समय मांगा। वहीं न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि जिलाधिकारी द्वारा एलआईयू रिपोर्ट व पिछली घटनाओं का जिक्र किया गया है, इन बिंदुओं को देखते हुए, बिना ठोस विचार किए, फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती।