दो कमरों के मकान का विवाद, 24 घंटे में खत्म हुआ पूरा परिवार, पहले पिता फिर दो बेटों ने भी खत्म की जिंदगी
- महज दो कमरों का मकान। आगे पड़ा हुआ छप्पर। सिर्फ इतनी सी संपत्ति के विवाद में 24 घंटे के अंदर पूरा परिवार खत्म हो गया। पहले बुजुर्ग पिता ने आत्महत्या की। पिता की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि ठीक अगले दिन दो युवा बेटों ने जान दे दी।
जमीन-जायदाद का लालच अच्छे-खासे परिवार में फूट डलवा देता है। जमीन-जायदाद के चक्कर में पिता-पुत्र और मां-बेटा तक एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। कहीं-कहीं ये दुश्मनी एक-दूसरे के खून की प्यासी बन जाती है तो कई परिवार बिछड़ने के डर से खुद ही दुनिया को छोड़ देते हैं। यूपी के लखीमपुर खीरी में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है। महज दो कमरों का मकान। आगे पड़ा हुआ छप्पर। सिर्फ इतनी सी संपत्ति के विवाद में 24 घंटे के अंदर पूरा परिवार खत्म हो गया। पहले बुजुर्ग पिता ने आत्महत्या की। पिता की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि ठीक अगले दिन दो युवा बेटों ने जान दे दी। इन सभी की आत्महत्या की वजह मकान के विवाद में रिश्तेदार महिला सिपाही के परिवार और चौकी पुलिस की प्रताड़ना बताई जा रही है।
गोला-बांकेगंज रोड पर गोला गोकर्णनाथ तहसील के गांव बाबूपुर निवासी 63 वर्षीय रामनरेश का शव गुरुवार की सुबह घर के छप्पर में लटका मिला था। बेटे सुधीर ने पुलिस को तहरीर देकर लखनऊ में तैनात महिला सिपाही आरती देवी, उसकी मां रामदेवी, बहन शशिबाला और भाई शिवम के खिलाफ गुरुवार को ही केस दर्ज कराया था। इसमें उसने जमीन और मकान के झगड़े में उसके पिता रामनरेश के उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पिता की आत्महत्या से आहत बेटे सुधीर और मुकेश ने भी शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। इसके बाद पुलिस की नींद खुली। आला अफसर मौके की ओर दौड़े तो स्थानीय पुलिस ने महिला सिपाही समेत चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
अब घर में नहीं बचा कोई, पसरा सन्नाटा
पहले पिता, फिर दो बेटों की मौत के बाद घर में सन्नाटा पसरा है। अब घर में कोई बचा ही नहीं है। राम नरेश की एक बेटी शिल्पी देवी है, जो शाहजहांपुर में ब्याही है। वह पिता की मौत की सूचना पर गुरुवार को आई थी। शुक्रवार को उसे भाइयों की मौत की खबर मिली। शिल्पी देवी ने दिखाया कि छप्पर के नीचे एक बाइक खड़ी है। उसने बताया कि महिला सिपाही आरती का भाई जबरन अपनी बाइक इस घर में खड़ी करता था। मना करने पर विवाद करता था।
घर में पड़ा छप्पर दे रहा गवाही
जिस मकान की खातिर तीन जिंदगियां भेंट चढ़ गईं, उसकी हालत बदतर है। मकान के अंदर महज दो कमरे हैं। एक बरामदा है और सामने की दीवार पर छप्पर पड़ा है। इसी मकान में गांव का छोटा पोस्टल आफिस चलता है। जिसका बोर्ड लगा हुआ है। इन्हीं दो कमरों के मकान में पिता राम नरेश अपने बेटों के साथ गुजारा करता था। जबकि पड़ोस में रहने वाली उसकी रिश्तेदार राम देवी की नजर उस मकान पर थी। राम देवी का दावा था कि मकान उसका है। इसी के विवाद ने बड़ा रूप से लिया था।
कभी एक साथ बनता था खाना, फिर हो गई दुश्मनी
रामनरेश मूल रूप से गांव तिलकपुर का रहने वाला था। उसकी ससुराल बाबूपुर गांव में थी। ससुराल से उसके रिश्ते बेहतर थे। साले सुंदरलाल से उसकी बहुत अच्छी बनती थी। बताते हैं कि सुंदरलाल अपने बहनोई रामनरेश को 2006 में अपने गांव ले आया और अपने ही घर के पास उसको एक मकान खरीदवा दिया। गांव वाले बताते हैं कि राम नरेश की पत्नी की मौत हो चुकी थी। दो बेटे ही थे तो वह भी ससुराल आ गया। शुरुआत में दोनों परिवारों का खाना एक में ही बनता था। पर बाद में दोनों के रिश्ते बिगड़ते चले गए।
बेटी पुलिस में बनी सिपाही तो शुरू हुआ विवाद
सुंदरलाल की मौत के बाद उसकी पत्नी रामदेवी अपने नंदोई राम नरेश पर खरीदे गए मकान को खाली करने के लिए दबाव बनाने लगी। उसका कहना था कि यह मकान मेरे पति ने मेरे नाम करवा दिया था। राम देवी की सात बेटियां व एक पुत्र है। एक बेटी आरती पुलिस में सिपाही के पद पर नियुक्त हुई। इसके बाद से विवाद बढ़ गया। गांव वालों का कहना है कि आरती जब भी गांव आती तो राम नरेश और उसके बेटों पर रौब गालिब कर मकान छोड़ने को कहती थी। पांच किलोमीटर दूर बाकेगंज की पुलिस चौकी है। खुद पुलिस में होने की वजह से वह पुलिस वालों को बुला लेती थी।