पुरानी शराब को लेकर शौकीनों में बढ़ा क्रेज, 2000 वाली व्हिस्की के लिए खर्च कर रहे 18500 रुपये
- शराब के शौकीनों में पुरानी शराब को लेकर जबरदस्त क्रेज बढ़ गया है। 25 साल पहले जो व्हिस्की 2000 रुपये में मिलती थी, आज उसके लिए शौकीन 18500 रुपये खर्च करने को तैयार हैं।
गोरखपुरियों में ‘पुरानी’ शराब यानी स्काच व्हिस्की को लेकर क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। तीन साल पहले जहां 2000 रुपये कीमत की शराब इक्का-दुक्का बिकती थी वहीं अब 25 साल पुरानी एक ब्रांड की शराब लोग 18,500 रुपये में खरीद रहे हैं। तीन साल पहले जहां बमुश्किल दो करोड़ की स्कॉच व्हिस्की बिकती थी। अब यह आंकड़ा 10 करोड़ के पार है।
गोरखपुर में अंग्रेजी शराब के थोक के तीन कारोबारी पूरे जिले में शराब की सप्लाई करते हैं। थोक कारोबारी सुधीर जायसवाल बताते हैं कि महंगी शराब के क्रेज के पीछे कारोबारी गतिविधियां बड़ी वजह है ही, गोरखपुर पिछले वर्षों में वेडिंग डेस्टिनेशन भी बना है। शादियों में स्कॉच-व्हिस्की की मांग आम दिनों की तुलना में दोगुनी हो जाती है। 2020 से पहले जहां बमुश्किल 2 करोड़ की स्कॉच व्हिस्की बिकती थी, वहीं वर्तमान में इसकी बिक्री हर माह 10 करोड़ के पार है।
शराब कारोबारी अंकुश श्रीवास्तव बताते हैं कि 7, 12, 15 और 25 साल पुरानी शराब की अधिक मांग है। 7 साल पुरानी शराब की कीमत 1400 से शुरू होती है। वहीं 25 साल पुरानी शराब 19000 रुपये में मिलती है। मैरेज हॉल कारोबार से जुड़े अभिषेक तिवारी का कहना है कि हाल के वर्षों में बिहार और नेपाल की कई मैरेज पार्टियां गोरखपुर में शादियां प्लान कर रही हैं। इन शादियों में शराब की अच्छी मांग दिखती है।
200 से अधिक विदेशी ब्रांड बिक रहे
वर्ष 2017 के बाद आबकारी विभाग की नीति से शराब माफियाओं के सिंडिकेट टूटने का नतीजा है कि वर्तमान में 200 से अधिक विदेशी ब्रांड गोरखपुर में बिक रहे हैं। एक बड़े कारोबारी बताते हैं कि पहले सिंडिकेट जिस ब्रांड को प्रमोट करता था, उसी की बिक्री होती थी। लेकिन अब कारोबारी डिमांड को देखते हुए शराब की खरीद रहे हैं।
महंगी बीयर भी अधिक बिक रही
अंग्रेजी शराब ही नहीं, बीयर में भी बड़े ब्रांड की बिक्री बढ़ी है। सामान्य बीयर जहां 130 रुपये प्रति केन है, तो बड़े ब्रांड की कीमत 210 रुपये तक है। इसके साथ ही वाइन और शैंपेन की बिक्री भी बढ़ी है। कारोबारी आलोक कुमार कहते हैं कि महंगी बीयर अब मॉडल शॉप पर ही नहीं, सभी दुकानों पर बिक रही है। शादियों और पार्टियों में खुशी के इजहार को शैंपेन की भी मांग बढ़ गई है।
जिला आबकारी अधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, अवैध शराब पर प्रभावी अंकुश का असर है कि देसी, अंग्रेजी से लेकर बीयर की बिक्री बढ़ी है। कोरोना काल के बाद महंगी शराब की बिक्री में 4 से 5 गुने की बढ़ोतरी दिख रही है। फाइव स्टार होटलों और अच्छे रेस्टोरेंट में बार खुलने से भी महंगी शराब की मांग बढ़ी है। औसतन हर महीने करीब 100 से 140 करोड़ रुपये की शराब बिकती है।
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