Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Crackdown on teachers missing from school High Court seeks action report from Principal Secretary Basic Education

स्कूल से गायब रहने वाले टीचरों पर नकेल, हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से मांगी एक्शन रिपोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों से टीचरों के गायब रहने को राज्य सरकार की शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बताया है। प्रदेश के प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा मांगा है कि प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर सरकार ने पूर्व में क्या कदम उठाए हैं।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, प्रयागराज, विधि संवाददाताTue, 29 Oct 2024 09:38 PM
share Share

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों से टीचरों के गायब रहने को राज्य सरकार की शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बताया है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कानून के अनुसार इस बुराई को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा मांगा है कि प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर सरकार ने पूर्व में क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वर्तमान में स्कूलों में टीचरों की हाजिरी सुनिश्चित करने के लिए सरकार की क्या कार्य योजना है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जिला मऊ की टीचर द्रौपदी देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का हलफनामा जरूरी है ताकि टीचरों के स्कूलों से गैरहाजिर रहने का संकट समाप्त हो सके। कोर्ट इस मामले में 26 नवम्बर को फिर सुनवाई करेगी।

याची का वेतन उसके स्कूल में गैर हाजिर रहने के कारण रोक दिया गया था। बीएसए मऊ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अर्चना सिंह ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी तो कोर्ट ने स्कूलों में टीचरों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उक्त आदेश दिया।

गौरतलब है कि गत आठ जुलाई को राज्य सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाज़िरी का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। शिक्षक नेताओं ने कहा था कि आदेश वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने भी सरकार को पत्र लिखकर डिजिटल अटेंडेंस स्थगित करने की मांग की थी। सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया था। इसके बाद सरकार ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर रोक लगाने का निर्णय लिया और एक कमेटी को दो महीने में इस पर फ़ैसला लेने का आदेश दिया।

अगला लेखऐप पर पढ़ें