Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Contempt case on bulldozer action in Sambhal reached Supreme Court, court gave this advice

संभल में बुलडोजर एक्शन पर अवमानना की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, यह दी सलाह

संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के बाद भड़की हिंसा के बाद से वहां का प्रशासन एक्शन मूड में है। इस दौरान बुलडोजर एक्शन भी हो रहा है। इसी एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक मामले में अवमानना के आरोप पर अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया है।

Yogesh Yadav नई दिल्ली भाषाFri, 7 Feb 2025 03:14 PM
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संभल में बुलडोजर एक्शन पर अवमानना की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, यह दी सलाह

संभल में बुलडोजर एक्शन पर अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के केस के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका दायर करने वालों को अदालत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर की ओर से पेश वकील से कहा कि इसे उच्च न्यायालय में दाखिल करें।

पीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट देते हुए कहा कि हमें लगता है कि इस मुद्दे से हाईकोर्ट सबसे बेहतर तरीके से निपट सकता है। अधिवक्ता चांद कुरैशी के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने शीर्ष अदालत के 13 नवंबर 2024 के उस फैसले का उल्लंघन किया है जिसमें अखिल भारतीय दिशा-निर्देश तय किए गए थे। इसमें बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने पर रोक लगाई थी। पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।

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याचिका में दावा किया गया है कि संभल में अधिकारियों ने 10-11 जनवरी को याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना या अवसर दिए उसकी संपत्ति का एक हिस्सा गिरा दिया था। ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था। माना जा रहा है कि अब याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएंगे। इस तरह के अन्य मामले भी हाईकोर्ट में चल रहे हैं। पूर्वांचल से जुड़े ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने पिछले दिनों सख्ती भी दिखाई थी। अधिकारियों को ध्वस्त की गई संपत्ति के एवज में मुआवजा देने का आदेश दिया था।

गौरतलब है कि संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद से प्रशासन कई तरह के अभियान चला रहा है। इसी अभियान के तहत कई अवैध अतिक्रमणों पर भी एक्शन हो रहा है। उन्हें तोड़ा और ध्वस्त किया जा रहा है। पिछले दिनों अपने एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्तीकरण से पहले नोटिस देने और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देने का आदेश दिया था। उस आदेश के बाद हुए एक्शन को लेकर ही मामला अदालत पहुंचा है।

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