लखनऊ और संभल में भूमि रिकॉर्ड गायब होने को लेकर सीएम योगी सख्त, राजस्व परिषद को दिया ये आदेश
प्रदेश के सभी जिलों में भूमि रिकार्ड तैयार कराया जाता है। इसे भूलेख भी कहते हैं। जमीन और उससे जुड़े कानूनी अधिकारों का यह आधिकारिक दस्तावेज होता है। इसे भूमि के स्वामित्व, सीमांकन और उपयोग में इस्तेमाल किया जाता है। भूमि से जुड़े लेन-देन और विवादों के समाधान के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

Investigation into missing Land Records: योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखनऊ और संभल में भूमि रिकार्ड गायब होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके जांच के निर्देश दिए हैं। इसे तत्काल ठीक कराने को कहा गया है और इसके लिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्व परिषद को यह निर्देश उच्च स्तर से दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि पूरे दस्तावेज को ठीक कराया जाए, जिससे जरूरत के आधार पर इसको देखा जा सके।
प्रदेश के सभी जिलों में भूमि रिकार्ड तैयार कराया जाता है। इसे भूलेख भी कहते हैं। जमीन और उससे जुड़े कानूनी अधिकारों का यह आधिकारिक दस्तावेज होता है। इससे भूमि के स्वामित्व, सीमांकन और उपयोग में इस्तेमाल किया जाता है। भूमि से संबंधित लेन-देन, विवादों के समाधान, और कानूनी कार्यवाही के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। खसरा, खतौनी, जमाबंदी, विवादों को रोकना, कृषि नियोजन व राजस्व संग्रहण इसके माध्यम से ही कराया जाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में लखनऊ और संभल जिले के कुछ गांवों व क्षेत्रों के भूमि रिकार्ड गायब होने की जानकारी दी गई। संभल मौजूदा समय कुछ मामलों को लेकर चर्चाओं में है। इसके बाद ही राजस्व परिषद के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि दोनों जिलों को निर्देश दिया जाए कि यह पता लगाया जाए कि कितने जिलों के भूमि रिकार्ड गायब हुए हैं। गायब होने की असल वजह क्या है और इसके लिए जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजस्व परिषद इसके साथ ही प्रदेश के सभी जिलों से रिपोर्ट मांगेगा कि उनके यहां भूमि रिकार्ड की क्या स्थिति है। भूमि रिकार्ड को डिजिटाइज कराया जाए, जिससे जरूरत के आधार पर इसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सके। ऑनलाइन होने से जिलों में जरूरत के आधार पर भूमि की व्यवस्था भी हो जाएगी।