सीएम योगी ने सभी डीएम-कमिश्नर को सौंपा बड़ा काम, इस बात के लिए अब सीधे तौर पर होंगे जिम्मेदार
- सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह निर्णय कर इससे संबंधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। डीएम और कमिश्नर अब राज्य में निवेश और क्रेडिट डिपाजिट (सीडी) रेशियो बढ़ाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। राज्य का इस समय सीडी रेशियो 59 है। इसे एक साल में 65 प्रतिशत करने का लक्ष्य दिया गया है।
CM Yogi's instructions to DM-Commissioners: सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी के जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को बड़ा काम सौंपा है। अब जिलाधिकारी और मंडलायुक्त राज्य में निवेश और क्रेडिट डिपाजिट (सीडी) रेशियो बढ़ाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। अब उनके कार्यक्षेत्र में निवेश की प्रगति और उनके प्रयासों का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्हें रिपोर्ट में उल्लेख करना होगा कि साल भर में उनके प्रयास से वितीय वर्ष में कितनी धनराशि का निवेश संभव हुआ? निवेश के माध्यम से कितने रोजगार का सृजन हुआ।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह निर्णय कर इससे संबंधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। राज्य का इस समय सीडी रेशियो 59 है। मुख्यमंत्री ने इसे एक साल में 65 प्रतिशत करने का लक्ष्य दिया है।
डीएम और कमिश्नर की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में उनके कार्यक्षेत्र में हुए निवेश व लोन संबंधी प्रगति का उल्लेख अनिवार्य होगा। इसके आधार पर अफसरों को ग्रेडिंग दी जाएगी, जिससे उनकी परफॉर्मेंस का निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके। उन्हें हर साल निवेश व सीडी रेशियों का लक्ष्य दिया जाएगा। इस परफार्मेंस के आधार पर उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट तय होगी। यूपी इस तरह का निर्णय करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
क्या है सीडी रेशियो
क्रेडिट-डिपॉजिट (सीडी) रेशियो यानी ऋण-जमा अनुपात। बैंकों में जमा धनराशि के मुकाबले बैंकों ने कितना कर्ज बांटा है। रेशियो ज्यादा है तो बैंक जमाराशि का काफी बड़ा हिस्सा ऋण दे रहा है। ज्यादा कर्ज से कारोबार, व्यापार, उद्योग बढ़ेंगे।
एसीआर में दो मानकों के आधार पर ग्रेडिंग होगी
मुख्य सचिव ने कहा कि निवेश बढ़ाने के लिए डीएम की अहम भूमिका होती है। चाहे जमीन दिलाना हो या निवेशकों की समस्याओं का समाधान कराने की बात हो। अब डीएम व कमिश्नर के एसीआर में इन दो मानकों के आधार ग्रेडिंग होगी। उन्होंने कहा कि संभव है कि इस आधार पर अच्छा काम करने वाले डीएम व कमिश्नर को प्रोत्साहन या सम्मानित किया जाए। दो-तीन हफ्तों के अंदर इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा।
इस बीच नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग द्वारा जारी शासनदेश में कहा गया है कि डीएम को जिले में जमा के मुकाबले ऋण का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करना होगा ताकि सीडी रेशियो बढ़ सके। संस्थागत वित विभाग रिजर्व बैंक से सलाह कर हर जिले का सीडी रेशियो वर्ष के प्रारम्भ में डीएम व कमिश्नर को देगा। वर्ष के अंत में जिला मजिस्ट्रेट अपने जनपद एवं मण्डलायुक्त अपने मण्डल सीडी रेशियों की बढ़ोतरी का विश्लेषण कर सूचना अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अंकित करना होगा। मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में क्रमश संभल, अमरोहा, बदायूं, रामपुर, कासगंज, एटा और मुरादाबाद का सीडी रेशियो सर्वाधिक है। वहीं उन्नाव, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे जिलों का सीडी रेशियो कम है। ऐसे जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और सीडी रेशियो सुधारने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी।
डीएम और कमिश्नर को हर साल अप्रैल में अपने जिले का सीडी रेशियो बताया जाएगा, ताकि वे निवेश को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर तरीके से अंजाम दे सकें। उन्होंने बताया कि सरकार के इस कदम का उद्देश्य न केवल निवेश को आकर्षित करना है बल्कि प्रदेश के विकास में अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी बढ़ाना है।
बढ़ेगी निवेश पर डीएम कमिश्नर की जवाबदेही
मनोज कुमार सिंह ने बताया कि अब डीएम और कमिश्नर को अपने क्षेत्र में निवेश लाने के प्रयासों की रिपोर्ट बनानी होगी। उद्यमियों के लिए समयबद्ध तरीके से लैंड अलॉटमेंट, लैंड सब्सिडी, लैंड यूज चेंज, लैंड क्लियरेंस समेत लैंड बैंक को तैयार कर उसकी मॉनीटरिंग और रेगुलर अपडेशन किये जाने का भी मूल्यांकन किया जाएगा। जिन जिलों के डीएम बेहतर प्रदर्शन करेंगे और अधिक निवेश आकर्षित करेंगे, उन्हें उच्च ग्रेडिंग और विशेष सम्मान दिया जाएगा।