विश्व में कोई युद्ध न हो, इसलिए मन की अयोध्या बनाना जरुरी: मोहन भागवत
श्री राजवीर सर के ध्यानार्थ कार्य में बाधा न आए, इसलिए द्वार पर डंडा लेकर बैठते संघ के लोग भारत विश्व में सबसे सुरक्षित व समृद्ध राष्ट्र, यहां जीवन ज
ण संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भगवान की इच्छा है, इसलिए सनातन धर्म का उत्थान होगा। संतों-भक्तों के पुरुषार्थ और प्रभु की इच्छा से मंदिर का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी लोगों को कभी-कभी शस्त्र उठाना पड़ता है। जब पूरा समाज तैयार होता है, तब भगवान की कृपा रूपी उंगली उठती है। विश्व में कोई युद्ध न हो, इसलिए मन की अयोध्या बनाना आवश्यक है। श्री रामकिंकर ईश्वर निष्ठों की मंडली में मूर्धन्य महापुरुष हैं। वह खुद को पावन करने चित्रकूट आए है। इसीलिए मैथिलीशरण का आमंत्रण मिलते ही उन्होंने तुरंत स्वीकृति दे दी थी।
समाज के प्रति स्वयंसेवकों की भूमिका और दायित्व का कराया बोध
संघ प्रमुख एक दिन पहले महाकौशल प्रांत के प्रांत स्तरीय वर्ग सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद दूसरे सत्र में स्वयंसेवकों समाज के प्रति उनकी भूमिका के साथ दायित्वों का बोध भी कराया। संघ के विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि अगले साल होने वाले संघ के शताब्दी वर्ष को अच्छी से तरह मनाया जाना है। उन्होंने समरस समाज निर्माण के मंत्र पर आगे बढ़ते हुए हिंदुत्व और हिंदुओं की एकता के लिए काम करने की प्रेरणा दी। कहा कि संघ किसी वर्ग विशेष का नहीं बल्कि सभी का है और समरस समाज के निर्माण के लिए सतत कार्यरत है। संघ के स्वयंसेवक समाज मे संघ के प्रतिनिधि होते हैं। समाज उनसे अपेक्षा रखता है और उनके प्रति आशान्वित रहता है। इस नाते समाज के प्रति स्वयंसेवकों-संघ चालकों की जिम्मेदारी भी ज्यादा है। समाज के हित और उत्थान के कार्यों को गति प्रदान करनी होगी। लोग भ्रांतियां फैलाते हैं, लेकिन हमें अपने कार्यों से न केवल उन्हें जवाब बल्कि समाज को संदेश भी देना होगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।